
उन्नाव के कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालयों में सुंदरीकरण में जमकर घपला किया गया है, सुंदरीकरण के नाम पर उन्नाव की डीएम ने नियमों को ताक पर रखकर काम कराया गया है आपको बता दे कि इस पूरे घपले का खुलासा एक आरटीआई में हुआ है, जिसमे यह खुलासा हुआ की कस्तूरबा विद्यालयों में बिना टेंडर के ही 25 -30 लाख रुपए का खर्च दिखाकर अलग मद से कार्य कराया गया। इससे साफ जाहिर होता है की उन्नाव की मौजूदा डीएम की शह पर ही यह घापाल हुआ है.
उन्नाव
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) December 9, 2022
➡डीएम उन्नाव अपूर्वा दुबे का बड़ा कारनामा
➡राइफल क्लब के बजट का गलत जगह किया प्रयोग
➡फायरिंग रेंज को दुरुस्त करवाने का नहीं ध्यान
➡कैम्प ऑफिस में बनवा रही आलीशान मीटिंग हॉल
➡PWD को 10 लाख 56 हज़ार की पहली किस्त जारी#Unnao #UttarPradesh #BreakingNews @dmunnao pic.twitter.com/XfFbeQhlSO
आपको बता दे की उन्नाव डीएम अपूर्वा दुबे के निर्देश पर जनपद के 13 कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालयों के कायाकल्प और सुंदरीकरण के काम शुरू कराए गए है. और इसके लिए क्षेत्र पंचायतें अपने -अपने इलाके के विद्यालयों के लिए बजट खर्च कर रही है. बीडीओ ने आरईएस के माध्यम से स्टीमेट तैयार कराया तो एक विद्यालय के सुंदरीकरण और कायाकल्प पर 25 से 30 लाख रुपए खर्च का स्टीमेट तैयार हुआ. जिसके बाद कई बीडीओ ने अपनी कलम फसते देख इसके लिए नियमों का हवाला देकर कार्य 10 लाख से अधिक होने पर जिला पंचायतराज अधिकारी के माध्यम से डीएम की संस्तुति आवश्यक बताई

जिले के आलाधिकारी ने इस नियमों का तोड़ निकालते हुए एक ही काम को अलग अलग भागों में विभाजित कर कराने के निर्देश दिए. नियमों की अनदेखी का आलम यह है कि पुरवा क्षेत्र पंचायत ने 26.51 लाख की लागत के काम को तीन भागों में बाँट दिया है जबकि स्कूल और बिल्डिंग वही है, यही हाल बांगरमऊ, नवाबगंज, सिकंदरपुर कर्ण, सुमेरपुर, हसनगंज, सफीपुर, बिछिया आदि ब्लाकों का है.

एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने सूचना का आधिकार अधिनियम के तहत मुख्य विकास अधिकारी से कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में कराए जा रहे कार्यो के स्टीमेट की प्रमाणित फोटो कॉपी और टेंडर प्रक्रिया की प्रमाणित फोटो कॉपी मांगी है, सीडीओ ऋषिराज ने बेसिक शिक्षाधिकारी से आवेदक को समय से सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

तत्कालीन खण्ड विकास अधिकारी सरोसी अभिषेक शुक्ला ने नियमानुसार 25 लाख का एस्टीमेट स्वीकृति हेतु जिले पर भेजा था, जिसे डीएम ने अनावश्यक टिप्पणी कर लटका दिया और बाद में सभी ब्लॉक में वित्तीय नियमों को दर किनार कर एक ही काम के टुकड़ों में एस्टीमेट बना दिए गए, जिससे साफ जाहिर है कि सर्वोच्च अधिकारी के संरक्षण में सारे कार्य हुए है.

आपको बताते चले की तत्कालीन खण्ड विकास अधिकारी सरोसी अभिषेक शुक्ला ने नियमों का हवाला देते हुए 25 लाख के एस्टीमेट स्वीकृति हेतु जिले पर भेजा था, जिसे डीएम ने डीएम ने अनावश्यक टिप्पणी कर लटका दिया और बाद में सभी ब्लाकों में वित्तीय नियमों को धत्ता बताकर एक ही काम के टुकड़ों में एस्टीमेट बना दिए गए, जिससे साफ जाहिर है कि यह सभी काम सर्वोच्च अधिकारी के संरक्षण में हुए है और वह सर्वोच्च अधिकारी है डीएम उन्नाव.









