अब सदन में सदस्य नहीं कर पाएंगे जुमलाजीवी,शकुनि जैसे शब्दों का प्रोयग,सदन ने जारी किए निर्देश

सदन ने आने वाले मानसूनसत्र से पहले ही लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को मर्यादित आचरण का पालन करने का निर्देश दे दिया है। और इसके बावजूद आगर किसी भी सदस्य के द्वारा अमर्यादित भाषा का प्रयोग सदन में किया गया तो उस सदस्य को सदन की कार्यवाही से बर्ख़ास्त कर दिया जाएगा

सदन ने आने वाले मानसूनसत्र से पहले ही लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को मर्यादित आचरण का पालन करने का निर्देश दे दिया है। और इसके बावजूद आगर किसी भी सदस्य के द्वारा अमर्यादित भाषा का प्रयोग सदन में किया गया तो उस सदस्य को सदन की कार्यवाही से बर्ख़ास्त कर दिया जाएगा

बीते  कुछ दिनों में देखा गया है कि सदन की कर्यवाही के दौरान  सदन के कुछ सदस्यों के द्वारा अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया है जिससे सदन की गरिमा की छवि पर ख़राब प्रभाव पड़ा है, इसी के मद्देनज़र लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द  2022 ‘शीर्षक के  तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हे ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है।                                            

जैसा की मानसून सत्र शुरू होने वाले है, पिछले बार की तरह इस बार भी माननीयों के द्वारा इस बार संसद की मर्यादा भंग न होने पाए इसलिए संसद ने अपना  कड़ा रुख दिखया है।  गौरतलब है की पिछले सत्र में सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीजेपी के उपमुख़्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के बीच में बिल को लेकर कहा सुनी हो गयी थी। और इस दौरान अखिलेश यादव और केशव प्रसाद के बीच में कुछ अमर्यादित भाषा का उपयोग किया गया था हालाँकि  उनके इस तू तू – मैं मैं के बीच में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को भी दख़ल देना पड़ा था और उन्होंने सदन से अपील भी की थी सदन की कार्यवाही के दौरान अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल न किया जाये।

बताते चले कि लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सांसद अब एक दूसरे पर  शकुनि , जयचंद , लल्लू -लाल , पिठ्ठू , चांडाल , लोलीपॉप , बैल -बुद्धि जैसे शब्दों  का प्रयोग नहीं कर सकेंगे  यदि वो ऐसे असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं  तो उन्हें सदन की कार्यवाही से बाहर भी किया जा सकता है।      

दरअसल सदन की कार्यवाही में इस्तेमाल हुए अमर्यादित भाषा का बाहर के लोगो पर बुरा असर पड़ता है चूकि इस सदन की कार्यवाही लाइव चलती है इसलिए लोग भी इसे देखते हैं  जिससे सदन की गरिमा आहत होती है।  संसद के द्वारा ज़ारी हुए संकलन में ऐसे शब्द या वाक्यों को शामिल किया गया है जिन्हे लोकसभा , राज्यसभा और राज्यों के विधानमंडलों में वर्ष २०२१ में असंसदीय घोषित किया गया था।

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