ब्लॉग : जानिए, कौन हैं सर्वेश मिश्रा जिनके यहां पड़ा था ED का छापा? एजेंसियों की कार्रवाई चिंताजनक क्यों?

इस बात को इतना सामान्य बना दिया गया है कि कोई सरकार के ख़िलाफ़ बोले तो उसके घर इन्कम टैक्स, सीबीआई या ईडी भेज दो. लोग भी इसे सामान्य तौर पर लेने लगे हैं कि 'हां ठीक है, राजनीति है, ये तो होता ही रहता है.' लेकिन ये सामान्य नहीं है.

ईडी के छापे के बाद तमाम लोगों के फ़ोन और मैसेज आये. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि सभी लोगों ने मुझे ईडी का छापा पड़ने की बधाई दी. मेरे कॉलेज के एक प्रोफेसर ने तो यहां तक कह दिया कि ‘मुझे तुम पर गर्व है सर्वेश’. ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई इम्तिहान पास कर लिया हो या नौकरी में तरक्की हो गयी हो. लेकिन मुझे ये नहीं समझ आ रहा है कि ये समाज ही बदल गया है या लोगों को पूरा यकीन है कि ईडी की कार्रवाई पूरी तरह राजनीतिक है. मेरे लिए ये बधाइयां चिंताजनक हैं.

लेकिन क्या सत्ता में बैठे लोगों को भी इसकी चिंता है कि जांच एजेंसियों की साख और विश्नसनीयता आम लोगों की नज़रों में यही रह गई है? इस बात को इतना सामान्य बना दिया गया है कि कोई सरकार के ख़िलाफ़ बोले तो उसके घर इन्कम टैक्स, सीबीआई या ईडी भेज दो. लोग भी इसे सामान्य तौर पर लेने लगे हैं कि ‘हां ठीक है, राजनीति है, ये तो होता ही रहता है.’ लेकिन ये सामान्य नहीं है. जो युवा सच में कुछ अच्छा करने का सपना लेकर आंदोलन में उतरते हैं, विरोध-प्रदर्शनों में पुलिस की लाठियां खाते हैं, बदलाव की उम्मीद के साथ राजनीति में आते हैं…उन्हें क्यों ऐसी झूठी कार्रवाई, जांच एजेंसियों का उत्पीड़न झेलना चाहिए? क्यों युवा आए राजनीति में?

अपना फ़ोन लोग अपने घरवालों तक को छूने नहीं देते, लेकिन हमारे फोन सीज कर लिए गए. हमारी बातें, हमारे दुख, हमारी खुशियां सब आजकल फ़ोन में ही होती है. सिर्फ़ हमारी नहीं, वो सैकड़ों और लोगों का डेटा होता है. ई़डी की बेबुनियाद कार्रवाई के बाद लोग आपसे बिदकने लगते हैं. आप खुद किसी से सामान्य सी बात करने में हज़ार बार सोचते हैं क्योंकि एजेंसियों का पूरा फ़ोकस सिर्फ़ आपको किसी तरह फंसाने में लगा हुआ है. फिर क्यों कोई आपके साथ काम करना चाहेगा? क्यों कोई आपको नौकरी देगा? बैंक क्यों आपको लोन देगा?

हमारे जैसे आम परिवारों के लोगों के पास पैसा या संसाधन तो नहीं है. बस हिम्मत ही है और उसी को तोड़ने की पुरज़ोर कोशिश चल रही है कि हम डर जाएं, मानसिक तौर पर परेशान हो जाएं, चुप हो जाएं. पर कुंवर नारायण ने लिखा है ना- ‘कोई दुख मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं, हारा वही जो लड़ा नहीं.’ तो सत्ता अपना जोर लगाए, हम अपना साहस लगाएंगे.

(यह ब्लॉग सर्वेश मिश्रा ने लिखा है, वह आदमी पार्टी के प्रवक्ता हैं, आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह के साथ रहते हैं. उनके करीबी होने की वजह से 24 मार्च को उनके घर प्रवर्तन निदेशालय का छापा पड़ा था)

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