उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला हैं. इसको लेकर आज कई दिनों से सपा और भाजपा में वार पलटवार के साथ ही पोस्टर वार भी चल रहा था.. लेकिन अब एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में केशव प्रसाद मौर्य बनाम अखिलेश यादव की राजनीति गरमा गई है.. हालांकि इन दोनों ही नेताओं का एक दूसरे पर वार पलटवार करने का दौर कोई नया हैं.. ये दोनों ही नेता कभी भी एक दूसरे पर कटाक्ष करने का मौका नहीं छोड़ते हैं..
‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक
इसी बीच एक बार फिर दोनों नेता आपस में भीड़ गए हैं.. सबसे पहले अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि,उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है। इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10% मतदाता बचे हैं अब वो भी खिसकने के कगार पर हैं, इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होनेवाला नहीं।
उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 2, 2024
इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10% मतदाता बचे हैं अब वो भी खिसकने के कगार पर हैं, इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होनेवाला नहीं।
‘नकारात्मक-नारे’ का असर भी होता है, दरअसल…
सत्ता में रहकर भी कमज़ोरी की ही बातें कर रहे
आगे अखिलेश यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा कि, ‘नकारात्मक-नारे’ का असर भी होता है, दरअसल इस ‘निराश-नारे’ के आने के बाद, उनके बचे-खुचे समर्थक ये सोचकर और भी निराश हैं कि जिन्हें हम ताक़तवर समझ रहे थे, वो तो सत्ता में रहकर भी कमज़ोरी की ही बातें कर रहे हैं। जिस ‘आदर्श राज्य’ की कल्पना हमारे देश में की जाती है, उसके आधार में ‘अभय’ होता है; ‘भय’ नहीं। ये सच है कि ‘भयभीत’ ही ‘भय’ बेचता है क्योंकि जिसके पास जो होगा, वो वही तो बेचेगा।
‘पालें तो अच्छे विचार पालें’
अखिलेश यही नहीं रुके उन्होने आगे लिखा कि देश के इतिहास में ये नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज होगा और उनके राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आख़िरी ‘शाब्दिक कील-सा’ साबित होगा। देश और समाज के हित में उन्हें अपनी नकारात्मक नज़र और नज़रिये के साथ अपने सलाहकार भी बदल लेने चाहिए, ये उनके लिए भी हितकर साबित होगा। एक अच्छी सलाह ये है कि ‘पालें तो अच्छे विचार पालें’ और आस्तीनों को खुला रखें, साथ ही बाँहों को भी, इसी में उनकी भलाई है। सकारात्मक समाज कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!
‘PDA’ असल में एक छलावा
अखिलेश के इतना कहते ही केशव प्रसाद मौर्या का भी गुस्सा फुट पड़ा उन्होने अखिलेश और PDA पर निशाना साधते हुए कहा कि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव का ‘PDA’ असल में एक छलावा है – यह ‘पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक’ का नहीं, बल्कि ‘परिवारवाद-दंगाई-अपराधी’ का गठबंधन है।
सपा प्रमुख श्री अखिलेश यादव का ‘PDA’ असल में एक छलावा है – यह ‘पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक’ का नहीं, बल्कि ‘परिवारवाद-दंगाई-अपराधी’ का गठबंधन है।
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) November 2, 2024
दूसरी ओर, भाजपा का ‘PDA’ है – प्रगति, विकास और सुशासन! भाजपा ने सुशासन और भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के अपने संकल्प को दृढ़ता से निभाते हुए…
प्रगति, विकास और सुशासन!
आगे उन्होने कहा कि,भाजपा का ‘PDA’ है – प्रगति, विकास और सुशासन! भाजपा ने सुशासन और भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के अपने संकल्प को दृढ़ता से निभाते हुए विकास के पथ पर देश को आगे बढ़ाया है। अब जनता जानती है कि असली PDA कौन लेकर आया है – जो देश की तरक्की में यकीन रखता है, और वो जो केवल झूठे नारों में।