भारतीय IPO ने बनाया नया रिकॉर्ड, 2024 में जुटाए 1.22 लाख करोड़ रुपये

IPO के माध्यम से धन उगाही करना साल 2024 में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ है, जो 2021 में स्थापित पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है, जबकि चालू कैलेंडर वर्ष में दो महीने शेष बचे हैं।

IPO के माध्यम से धन उगाही करना साल 2024 में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ है, जो 2021 में स्थापित पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है, जबकि चालू कैलेंडर वर्ष में दो महीने शेष बचे हैं।

2024 में अब तक IPO के माध्यम से जुटाई गई धनराशि की क्यूम्यूलेटिव अमाउंट 1.22 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। जो 2021 में 1.18 लाख करोड़ रुपये के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गई है। इस रिकॉर्ड राशि का लगभग 70 प्रतिशत अगस्त से जुटाया गया है।

अगस्त में इसके जरिये करीब 17,109 करोड़ रुपये जुटाए गए, इसके बाद सितंबर में 11,058 करोड़ रुपये और अक्टूबर में लगभग 38,700 करोड़ रुपये का मासिक रिकॉर्ड रहा। इससे पहले, नवंबर 2021 में अधिकतम 35,664 करोड़ रुपये के आईपीओ धन उगाहने का रिकॉर्ड था।

इस बीच, नवंबर में चार प्रमुख आईपीओ आने वाले हैं- स्विगी, सैगिलिटी इंडिया, एसीएमई सोलर होल्डिंग्स और निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस- इनका लक्ष्य कुल 19,334 करोड़ रुपये जुटाना है। हालांकि, अक्टूबर में कई बड़े IPO के बाद बाजारों में बढ़त कम होती दिखी। विशेषज्ञों का सुझाव है कि एक प्रमुख IPO के फीके प्रदर्शन, जो अपने पहले दिन लिस्टिंग लाभ अर्जित करने में विफल रहा, ने भावना को कम कर दिया है।

हुंडई के बाद के तीन IPO भी अपने-अपने लिस्टिंग दिनों में निगेटिवली लिस्टे हुए। गरुड़ कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग ने लिस्टिंग के समय लगभग 12 प्रतिशत की मामूली बढ़त हुई, लेकिन वर्तमान में यह अपने निर्गम मूल्य से नीचे कारोबार कर रहा है। हुंडई वर्तमान में अपने निर्गम मूल्य से लगभग 10 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहा है, जबकि दीपक बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स इंडिया अपने निर्गम मूल्य से 20 प्रतिशत नीचे सूचीबद्ध है और अब अपने निर्गम मूल्य से लगभग 23 प्रतिशत कम पर कारोबार कर रहा है।

वारी एनर्जीज, जिसके 90 प्रतिशत प्रीमियम के साथ शुरू होने की उम्मीद थी, 59 प्रतिशत के प्रीमियम पर सूचीबद्ध है। स्विगी के अगले महीने अपना आईपीओ लॉन्च करने के साथ, निवेशकों का उत्साह ठंडा बना हुआ है। इस निर्गम के लिए ग्रे मार्केट प्रीमियम सपाट कारोबार कर रहा है, और विश्लेषक निवेशकों को इसकी घाटे वाली स्थिति और आईपीओ के आकार के अधिक मूल्यांकित होने की धारणा के कारण सावधान कर रहे हैं।

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