ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पता चला है कि भारत के रेलवे के लिए बनाए गए माल ढुलाई गलियारे सामाजिक समानता को बढ़ावा दे रहे हैं। जिन राज्यों का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद कम है, उन्हें इन गलियारों से खास फायदा हो रहा है।
इससे ये भी पता चलता है कि ये गलियारे आर्थिक अंतर को कम करने में मदद कर रहे हैं, जिससे देशभर में अधिक समान आर्थिक विकास की दिशा मिल रही है।
हालांकि, अध्ययन में 2019-20 के वित्तीय वर्ष में पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारे (WDFC) पर ध्यान केंद्रित किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कई उद्योगों और उपभोक्ताओं को फायदा हुआ है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
अध्ययन के अनुसार, समर्पित माल ढुलाई गलियारा सभी क्षेत्रों को वित्तीय लाभ देता है। हालांकि, इसकी निकटता के कारण आसपास के क्षेत्रों को ज्यादा लाभ होता है।
अध्ययन में बताया गया है कि माल ढुलाई की लागत में कमी आई है, और इससे उन क्षेत्रों के सकल घरेलू उत्पाद में सुधार हुआ है जहां लागत में सबसे ज्यादा कमी हुई। इसके चलते वस्तुओं की कीमतों में 0.5 प्रतिशत तक की कमी आई है।
इसके अलावा, अध्ययन में यह भी पाया गया कि 2018-19 से 2022-23 के बीच, समर्पित माल गलियारे ने भारतीय रेलवे के राजस्व में 2.94 प्रतिशत का योगदान दिया।
डीएफसीसीआईएल (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) के अनुसार, यह अध्ययन दिखाता है कि दूर के क्षेत्रों को भी परिवहन लागत में कमी से लाभ मिला है।
अध्ययन में इस्तेमाल किए गए मॉडल के बारे में, डीएफसीसीआईएल ने कहा कि यह मॉडल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया था, ताकि बुनियादी ढांचे के विकास के आर्थिक प्रभावों का आकलन किया जा सके।
अंत में, अध्ययन ने यह साबित किया है कि समर्पित माल ढुलाई गलियारे आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिससे देश भर में आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिल रहा है।