Akhilesh on BJP: उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। अब तक डीजीपी के लिए संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) को नामों का पैनल भेजा जाता था, लेकिन अब यह व्यवस्था बदल दी गई है। नए नियमों के तहत, डीजीपी के चयन का जिम्मा अब राज्य सरकार के पास होगा।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में यूपी पुलिस बल प्रमुख के चयन और नियमावली 2024 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके तहत, डीजीपी के चयन के लिए एक विशेष कमेटी बनेगी, जिसका नेतृत्व हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। एक बार चयनित होने के बाद, डीजीपी का कार्यकाल 2 साल का होगा, लेकिन चयन के समय उम्मीदवार के पास कम से कम 6 महीने की सेवा बची होनी चाहिए।
इसके साथ ही नियमावली में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि डीजीपी किसी आपराधिक मामले में फंसते हैं, भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं या अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरतते हैं, तो राज्य सरकार उन्हें 2 साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा सकती है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि डीजीपी को हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा।
अखिलेश यादव ने साधा निशाना
सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनानेवाले ख़ुद 2 साल रहेंगे या नहीं।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 5, 2024
कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है।
दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0
इस बदलाव के बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए योगी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, “सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनाई जा रही है… सवाल यह है कि ये व्यवस्था बनाने वाले खुद 2 साल तक रहेंगे या नहीं? क्या यह दिल्ली के हाथ से लगाम लखनऊ में लेने की कोशिश तो नहीं है? दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0।” इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी चर्चाएं जारी हैं।