सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी में सुनवाई करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पादरीवाला की पीठ कर रही थी। इस दौरान याचिकाकर्ता से यह सवाल किया गया कि जनहित याचिका में सिर्फ हिंदी के लिए ही राहत की मांग क्यों की गई है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में देश के सभी राज्यों के मामले दायर किए जाते हैं।
अनुच्छेद 348(1) की वैधता को दी गई थी चुनौती
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 348(1) की वैधता को चुनौती दिया था। इस दौरान याचिकाकर्ता ने SC में हिंदी में भी सुनवाई करने की मांग की थी। दरअसल, अनुच्छेद 348(1) के तहत यह प्रावधान है कि सुप्रीम कोर्ट सहित देश के सभी हाई कोर्ट में अंग्रेजी में सुनवाई की जानी चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से मना कर दिया है।
याचिका में सिर्फ हिंदी ही क्यों?
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता से सवाल किया कि सिर्फ हिंदी ही क्यों, जबकि हमारे पास देश के सभी राज्यों के मामले दायर होते हैं। ऐसे में क्या अब संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त सभी भारतीय भाषाओं में सुनवाई होनी चाहिए।