अलीगढ़ की खैर सीट पर उपचुनाव की जंग होगी दिलचस्प, त्रिकोणीय मुकाबले में कौन लहराएगा परचम

10 सीटों पर होने वाले चुनावी खेल के लिए पार्टियों ने अपनी तैयारियां कर ली है.चुनावी मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है.

डिजिटल स्टोरी- उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होने वाले है. सियासी तापमान भी हाई है. बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बसपा ने अपनी कमर कस ली है.10 सीटों पर होने वाले चुनावी खेल के लिए पार्टियों ने अपनी तैयारियां कर ली है.चुनावी मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है.

आज हम आपको अलीगढ़ की खैर सीट के बारे में बताएंगे, जहां पर चुनावी रण होने वाला है….

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी आज भी इस शहर की शान है. उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने का काम अलीगढ़ का है. ताले और बेहतर तालीम के लिए यह जगह खास है.इतना ही नहीं अलीगढ़ अपने पीतल के हार्डवेयर और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है.लेकिन इस वक्त ये जगह चुनावी अखाड़े में तब्दील हो चुकी है.अलीगढ़ की खैर सीट पर उपचुनाव होने वाला है.

खैर विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव को लेकर राजनीतिक दल तो सक्रिय हो ही गई है.

खैर विधानसभा सीट पर भाजपा से अनूप प्रधान विधायक थे. जिनके हाथरस से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सीट रिक्त चल रही है. खैर सुरक्षित सीट से भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा तीनों उपचुनाव में दावा कर रही है.

आजादी के बाद से ही इस सीट पर जाट उम्मीदवारों का जलवा रहा है. साल 1967, 1974 और 1980 में कांग्रेस को यहां जीत मिली.1985 में लोकदल और 1989 में जनता दल के खाते में जीत आई. भाजपा का रामलहर में 1991 में पहली बार यहां खाता खुला जब चौधरी महेंद्र सिंह को जीत मिली.इसके बाद 1993 में सीट जनता दल के पास चली गई. बता दें कि 2008 के परिसीमन के बाद खैर सीट सुरक्षित हो गई थी.

जातीय समीकरण की बात करें तो, यहां 1.15 लाख जाट और 60 हजार से अधिक ब्राह्मण वोटर हैं. 70 हजार जाटव हैं. करीब 35 हजार से अधिक वैश्य और 30 हजार के करीब मुस्लिम वोटर हैं. वैसे चुनाव में जाट वोटर ही इस जगह में निर्णायक भूमिका में है. उसके बाद मुस्लिम.बहरहाल, खैर सीट पर होने वाले चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है. देखने वाली बात है कौन सी पार्टी जीत का परचम लहराएगी????

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