ओडिशा के पुरी जिले में लैंडफॉल से एक दिन पहले शुक्रवार को चक्रवाती तूफान जवाद ओडिशा-आंध्र प्रदेश तट की ओर बढ़ गया। NDRF ने अपनी 64 टीमों को तूफान के बाद किसी भी घटना से निपटने के लिए तैयार रखा है। भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अधिकारियों ने यह संभावना जताई है कि चक्रवातीय तूफान जवाद का प्रभाव पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिल सकता है।
ओडिसा राज्य के विशेष राहत आयुक्त (SRC) पीके जेना ने कहा कि चक्रवाती तूफान के बंगाल की खाड़ी में जाने से पहले ओडिशा के पुरी जिले में भी कहीं पहुंचने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा चक्रवात के अनुमानित रास्तों के मुताबिक, यह पुरी तट से टकरा टकराकर समुद्र में लौट सकता है। पीके जेना ने भुवनेश्वर में संवाददाताओं से कहा की चक्रवात जवाद के पूरी जिले में पहुंचने पर हवाओं की रफ्तार लगभग 90-100 किमी प्रति घंटे रह सकती है लेकिन ओडिशा तट को छूने के बाद इसकी गति धीरे-धीरे कम होगी।
वहीं चक्रवात से उत्पन्न किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अपनी रणनीति की जानकारी देते हुए NDRF के महानिदेशक (DG) अतुल करवाल ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि संवेदनशील राज्यों में 46 टीमों को तैनात किया गया है जबकि 18 टीमों को पहले से ही रिजर्व में रखा गया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके द्वारा साझा किए गए तैनाती के नक्शे के अनुसार, 46 टीमों में से 19 पश्चिम बंगाल में, 17 ओडिशा में, 19 आंध्र प्रदेश में, सात तमिलनाडु में और दो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तैनात हैं।
NDRF के महानिदेशक ने कहा कि सभी टीमों को विभिन्न राज्य सरकारों की इच्छानुसार उपलब्ध कराया गया है और उन्हें स्थानीय अधिकारियों के परामर्श से तैनात किया जाएगा। एनडीआरएफ की एक टीम में लगभग 30 कर्मी होते हैं जो उखड़े हुए पेड़ों को साफ करने के लिए पोल कटर, बिजली के आरी, हवा में उड़ने वाली नावों और कुछ अन्य राहत और बचाव उपकरणों से लैस होते हैं। करवाल ने कहा, “हम स्थिति से हर संभव तरीके से निपटने के लिए आश्वस्त हैं।”