Deepawali: फेस्टिव सीजन चल रहा हैं. इस दौरान 60 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है. अगर ऐसा ही रहा तो दिवाली तक यह आंकड़ा आसानी से एक लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा. इस दौरान सोने, चांदी के अलावा पीतल के बने बर्तन की जबरदस्त खरीद हुई है. जो स्थानीय वस्तुओं की ओर मजबूत बदलाव को दर्शाता है.
CAIT के महासचिव और चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने “वोकल फॉर लोकल” आंदोलन के जीवंत प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिसमें अधिकांश खरीदारी भारतीय निर्मित वस्तुओं पर केंद्रित थी. खंडेलवाल ने कहा, “दीवाली से संबंधित चीनी उत्पादों की बिक्री में गिरावट से इस सीजन में चीन को 1.25 ट्रिलियन रुपये का नुकसान होने की संभावना है.”
इसके साथ ही स्थानीय कारीगरों को समर्थन देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के अनुरूप, CAIT ने स्थानीय महिलाओं, कुम्हारों और शिल्पकारों के लिए बिक्री बढ़ाने के लिए व्यापार संघों को प्रोत्साहित किया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे भी समृद्धि के साथ दिवाली मनाएं.
वही बता दें कि आज सांसद खंडेलवाल, भाजपा कार्यकर्ताओं और व्यापार नेताओं के साथ मिलकर अभियान को बढ़ावा देने के लिए चांदनी चौक में स्थानीय कुम्हारों से मिट्टी के दीये और अन्य सजावट के सामान खरीदेंगे.. इसी तरह, दिल्ली और अन्य राज्यों में CAIT के व्यापार नेता स्थानीय रूप से तैयार किए गए सामान खरीदने के लिए तैयार हैं, जिससे घरेलू उत्पादों के प्रति प्रतिबद्धता को बल मिलेगा..
वैसे तो धनतेरस को पारंपरिक रूप से भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के साथ मनाया जाता है और समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए नई वस्तुओं की खरीद की जाती है. सोने और चांदी के आभूषण, बर्तन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, व्यावसायिक उपकरण और घरेलू सामान लोकप्रिय खरीदारी बने हुए हैं. CAIT के अखिल भारतीय ज्वैलर्स और गोल्डस्मिथ फेडरेशन (AIJGF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा के अनुसार, कल यानि की धनतेरस के दिन (29 अक्टूबर) अकेले सोने की बिक्री अनुमानित 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जबकि चांदी की बिक्री लगभग 2,500 करोड़ रुपये हुई..
अरोड़ा ने आगे कहा, “बढ़ती कीमतों के कारण वजन के हिसाब से कम सामान बिका, लेकिन मौद्रिक बिक्री में उछाल आया है.” उन्होंने कहा कि देशभर में 25 टन सोना और 250 टन चांदी बिकी. इसके अलावा, पुराने चांदी के सिक्कों की मांग में फिर से उछाल आया और प्रति सिक्के की कीमत 1,200 से 1,300 रुपये के बीच रही..
इसी के साथ चांदनी चौक, दरीबा कलां, सदर बाजार और लाजपत नगर सहित दिल्ली के व्यस्त खुदरा केंद्रों में भी बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई, क्योंकि शुभ दिन के अवसर पर खरीदारों की भीड़ बाजारों में उमड़ पड़ी.
CAIT की वैदिक ने धनतेरस को भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने का दिन बताया, जो स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती का प्रतीक है. उन्होंने खानपान और आतिथ्य में इसके महत्व को समझाते हुए कहा, “इस दिन पीतल के बर्तन खरीदने का रिवाज है.” इसके अलावा, दक्षिण दिशा में ‘यम दीपक’ जलाकर मृत्यु के देवता भगवान यम की पूजा की जाती है, जो धनतेरस के दौरान शुभ मानी जाने वाली एक सदियों पुरानी प्रथा है.