प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के 10 साल: छोटे उद्यमियों को सशक्त करने वाली एक क्रांतिकारी पहल

इस योजना ने न केवल ऋण के लिए दर-दर भटकते युवाओं को राहत दी, बल्कि महिलाओं, कारीगरों, छोटे दुकानदारों और ग्रामीण व्यवसायियों को भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया।

2015 में हुई थी शुरुआत, आज बना करोड़ों का सहारा
देश के 5.77 करोड़ सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSMEs) के लिए 8 अप्रैल 2015 को शुरू हुई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) एक मील का पत्थर साबित हुई है। इसका उद्देश्य था— बिना किसी गारंटी के व्यवसाय ऋण देकर पहले बार के उद्यमियों और छोटे व्यापारियों को औपचारिक वित्तीय सहायता प्रदान करना।

तीन श्रेणियों में मिलता है लोन
PMMY के तहत तीन श्रेणियों में ऋण दिया जाता है:

  • शिशु: ₹50,000 तक का ऋण
  • किशोर: ₹5 लाख तक का ऋण
  • तरुण: ₹10 लाख तक का ऋण

यह वर्गीकरण विभिन्न स्तर के उद्यमों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर किया गया है— शुरुआती, विकासशील और विस्तार करने वाले व्यवसायों के लिए।

स्वरोजगार को मिला नया आधार
इस योजना ने न केवल ऋण के लिए दर-दर भटकते युवाओं को राहत दी, बल्कि महिलाओं, कारीगरों, छोटे दुकानदारों और ग्रामीण व्यवसायियों को भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया।

दस साल में बड़ी सफलता
दस वर्षों में यह योजना करोड़ों लोगों के लिए रोजगार और व्यवसाय का जरिया बन चुकी है, जिससे देश में आर्थिक गतिविधियों को नया बल मिला है।

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