मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख शनिवार को हॉलिडे कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने अनिल देशमुख को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। देशमुख को 19 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अनिल देशमुख को पिछले सोमवार प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था।
दरअसल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद प्राथमिकी दर्ज की थी। पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने देशमुख पर आरोप लगाया था कि इन्होने बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन हिंदूराव वाजे को मुंबई में होटलों और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के निर्देश दिए थे। 100 करोड़ रुपयों की जबरन वसूली के इसी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी प्राथमिकी के आधार पर मामले की जांच कर रही थी।
इस बीच, वाजे को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शनिवार को कोर्ट ने 13 नवंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। अनिल वाजे मुम्बई पुलिस में सहायक पुलिस निरीक्षक (API) के पद पर तैनात थे जिनको मई 2021 में मुंबई पुलिस आयुक्त ने बिना विभागीय जांच के अनुच्छेद 311 के तहत सेवा से बर्खास्त कर दिया था। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के आरोपों के बाद इनके खिलाफ 23 जुलाई को जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था।
वहीं देशमुख ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया है, लेकिन सीबीआई द्वारा मामला दर्ज करने के बाद अप्रैल में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में ED ने 71 वर्षीय अनिल वसंतराव देशमुख के बेटे ऋषिकेश को भी गुरुवार को पूछताछ के लिए बुलाया था। ईडी अधिकारियों ने कहा कि हृषिकेश को शुक्रवार को पेश होना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। शनिवार को ऋषिकेश देशमुख ने सत्र अदालत का रुख किया और अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की।
ED के अनुसार, वाजे ने कथित तौर पर मुंबई में ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से “बार के सुचारू संचालन” के लिए 4.7 करोड़ रुपये एकत्र किए और यह पैसा देशमुख के निजी सहायक संजीव पलांडे को दिया, जिन्होंने बाद में नागपुर में किसी को पैसे सौंप दिए।
ED के अधिकारियों ने कहा कि जांच से पता चला है कि हवाला चैनलों के जरिए यह पैसा फर्जी कंपनियों का संचालन करने वाले दिल्ली के सुरेंद्र कुमार जैन और वीरेंद्र जैन को भेजा गया था। जैन बंधुओं पर आरोप है कि उन्होंने इस पैसे को नागपुर स्थित श्री साईं शिक्षण संस्थान नाम के एक ट्रस्ट को दान स्वरुप दे दिया, जो देशमुख परिवार द्वारा ही संचालित किया जाता है। ED के अधिकारियों को संदेह है कि जैन बंधु ऋषिकेश देशमुख के निर्देश पर काम कर रहे थे। ED अधिकारी उनके भी बयान दर्ज करना चाहते हैं।