
मुंबई: 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सिलसिलेवार तरीके से हुए 7 बम धमाकों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को दहला कर रख दिया था. इन धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हो गए थे. यह घटना मुंबई की जीवनरेखा पर सुनियोजित आतंकी हमला था. धमाकों ने न केवल शहर को, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और मुंबई की अटूट भावना का प्रतीक बन गया. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले ने जांच और अभियोजन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, लेकिन पीड़ितों की यादें और उनकी कहानियां हमेशा मुंबई और देश के इतिहास का हिस्सा रहेंगी.
क्या हुआ था उस दिन?
विभिन्न मीडिया स्रोतों से जानकारी मिलती है, उस दिन शाम करीब 6 बजे से शुरू होकर महज 11 मिनट के भीतर मुंबई की पश्चिमी रेलवे की सबअर्बन ट्रेनों के फर्स्ट-क्लास डिब्बों में एक के बाद एक 7 बम धमाके हुए. पहला ब्लास्ट चर्चगेट से बोरीवली जा रही लोकल ट्रेन में खार और सांताक्रूज स्टेशनों के बीच हुआ था. इसके बाद बांद्रा-खार रोड, माटुंगा रोड, माहिम जंक्शन, जोगेश्वरी, मीरा रोड-भायंदर और बोरीवली स्टेशनों के पास या उनसे गुजर रही ट्रेनों में धमाके हुए, जिसने करीब 824 लोगों की जान ले ली.
किस चीज का हुआ था प्रयोग
इन धमाकों के लिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया गया था, जिसका खुलासा जांच में हुआ था. जांच में पता चला था कि धमाकों के लिए आरडीएक्स (RDX) और अमोनियम नाइट्रेट के मिश्रण का प्रयोग किया गया था और क्वार्ट्ज टाइमर से ब्लास्ट किया गया था. यह विस्फोटक मिश्रण थर्मोबैरिक प्रभाव पैदा करने के लिए तैयार किया गया था, ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके. सभी बम चर्चगेट स्टेशन से शुरू होने वाली ट्रेनों में रखे गए थे, जो शहर के दक्षिणी हिस्से से उत्तरी हिस्से तक जा रही थी.
धमाकों के बाद किया हुआ था?
जानकारी मिलती है कि इन धमाकों से पूरा देश सहम गया था और आर्थिक राजधानी पूरी तरह से ठप पड़ गया था. धमाके वाले जगहों पर ट्रेनों के डिब्बे क्षत-विक्षत हालत में बिखर गए थे. और रेलवे स्टोशनों पर हर ओर मलबा ही मलबा दिख रहा था. थोड़ी ही देर में अस्पतालों में घायलों की भीड़ उमड़ने लगी. किंग एडवर्ड VII मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे अस्पतालों में तुरंत घायलों का इलाज शुरू किया गया. इन जगहों पर आपातकालीन सर्जरी की बाढ़ सी आ गई थी. धमाके के बाद न सिर्फ प्रशासन और बल्कि स्थानीय लोगों ने भी बचाव कार्य में भाग लिया था. लोगों ने एक दूसरे की सहायता की. अजनबियों ने घायलों को पानी पिलाया और अस्पताल पहुंचाने में मदद की.
हाई अलर्ट पर था पूरा देश!
धमाकों के बाद मुंबई में तत्काल हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया और देश के प्रमुख शहर दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरु की सुरक्षा बढ़ाई गई. पश्चिमी रेलवे की सेवाएं कुछ समय के लिए बंद कर दी गईं. बाकी लाइनों पर यात्रियों और संदिग्धों की सघन जांच शुरू की गई. धमाकों के एक हफ्ते बाद 18 जुलाई को मुंबई के माहिम स्टेशन पर एक स्मृति सभा आयोजित की गई, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
महाराष्ट्र ATS ने शुरू की जांच
जांच की कमान महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने संभाली और नवंबर 2006 में 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की. इनमें से कुछ आरोपियों को स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़ा होना बताया गया था. चार्जशीट में यह भी दावा किया गया था कि 4 आरोपी पाकिस्तान के थे, जो बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते भारत में घुसे थे. 14 जुलाई 2006 को लश्कर-ए-कहर नामक संगठन ने एक टीवी चैनल को ईमेल भेजकर लिखा था कि उसी ने ही हमले को अंजाम दिया है. बाद में पता चला कि इस संगठन का संबंध लश्कर-ए-तैयबा था.
2015 में 12 आरोपियों को ठहराया गया था दोषी
2015 में एक विशेष अदालत ने धमाकों में शामिल 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिसके बाद 5 को मृत्युदंड और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि 21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा. कोर्ट ने कहा, “सबूत विश्वसनीय नहीं हैं, और यह मानना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया.”









