Desk : श्रावस्ती के जिलाअस्पताल एसएनसीयू वार्ड में एक ही दिन में तीन नवजात बच्चो के मौत की खबर सामने आई हैं. इसके बाद से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है. मिली जानकारी के अनुसार तीनों नवजात बच्चे 2 से 3 दिनों के अंतराल पर एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराए गए थे. नवजात बच्चों की मौत हो गई हैं जिसके बाद जिला अस्पताल मे हड़कंप मचा हुआ है.
आपको बता दें कि जिन नवजात बच्चों की एसएनसीयू वार्ड में मौत हुई है उनमें से एक बच्चे के पिता ने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उनके बच्चे की स्थित नाजुक थी जिसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था उसकी आज मौत हो गई है. नवजात बच्चे के पिता ने आरोप लगाते हुए यह बताया गया कि जब बच्चा एसएनसीयू वार्ड में भर्ती था तो जिला अस्पताल में 3 से 4 घंटे बिजली नहीं थी ना ही जनरेटर चल रहा था जिसके कारण बच्चे की मौत हो गई है.
जैसे ही पूरा प्रकरण सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वैसे ही उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के द्वारा मामले को संज्ञान में ले लिया गया और उसके बाद ट्वीट कर यह जानकारी दिया गया कि श्रावस्ती के CMO को तत्काल मौके पर पहुंचकर प्रभावी कार्रवाई करें.
इस मामले में उत्तर दायित्व निर्धारित कर कठोर कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है.इसके बाद श्रावस्ती के सीएमओ शारदा प्रसाद त्रिपाठी जिला अस्पताल पहुंचे और जांच की गई. जवाब देते हुए सीएमओ ने बताया गया कि एक बच्चा आज सुबह भर्ती हुआ जिसकी मृत्यु 12 बजे हो गई थी दो बच्चे 31 तारीख को भर्ती हुए थे एक बच्चे के मृत्यु 2 बजकर 5 मिनट पर और दूसरे बच्चे की 1बजे दिन मे मृत्यु हुई हैं किसी भी बच्चे की मृत्यु ऑक्सीजन की सप्लाई या विद्युत मे बाधा के कारण नहीं हुई है.
यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि जब भी स्वास्थ्य विभाग का पोल खुलती है तो इस तरह की जांच रिपोर्ट क्यों सामने आती है क्यों जिले के जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से कतराते हैं आखिर क्यों जिले के जिम्मेदार अधिकारी जिम्मेदारो पर कार्रवाई नहीं करते हैं गौर हो कि आज से 2 दिन पहले श्रावस्ती के ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गिलौला से जिस तरह की तस्वीर सामने आई थी जिस तरह से मोबाइल की टॉर्च के रोशनी में डॉक्टर के इलाज करने का वीडियो सामने आया था उसे कहीं ना कहीं यह लग रहा है की जिले के जिम्मेदार अधिकारी जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने से कतराते हैं और बचते नजर आते हैं.