उत्तराखंड की महिलाओं के लिए ऐतिहासिक फैसला, सहकारी संस्थाओं, को-ऑपरेटिव बैंकों में 33 % आरक्षण की मंजूरी

सीएम धामी ने कहा, सहकारी समितियों के उच्च स्तरों पर निदेशक मंडल और अध्यक्षों में महिलाओं की महत्वपूर्ण उपस्थिति होनी जरूरी है।

उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने महिलाओं के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। इससे सहकारी संस्थाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने से उनके संचालन में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इन संस्थाओं में एकल परिवारों के वर्चस्व की समस्या खत्म कर दी गई है।

सत्ता के इस असंतुलन को दूर करने और अधिक समावेशी और न्यायसंगत शासन संरचना का मार्ग प्रशस्त करने का लक्ष्य बनाने के लिए यह कदम उठाए गए हैं। महिलाएं, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से नेतृत्व के पदों पर कम प्रतिनिधित्व मिला है, सहकारी संस्थाओं के प्रभावी कामकाज की दिशा में एक अनूठा दृष्टिकोण और योगदान दे सकती हैं।  एकल परिवार का सहकारी संस्थाओं में नियंत्रण एवं भाई भतीजावाद का अंत होगा। सबको संस्थानों में अवसर की समानता मिलेगी।

उन्होंने कहा कि , सहकारी समितियों के उच्च स्तरों पर निदेशक मंडल और अध्यक्षों में महिलाओं की महत्वपूर्ण उपस्थिति होनी जरूरी है। इससे महिलाओं के निर्णय लेने की प्रक्रिया में विचारों और अनुभवों की विविधता भी आएगी। महिलाओं की भागीदारी से सहकारिता के प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी और संतुलित निर्णय लिए जा सकेंगे , जो सहकारी समिति के सभी सदस्यों के हितों और जरूरतों को दर्शाएंगे। उन्होंने कहा देश का उत्तराखण्ड पहला राज्य है, जहाँ महिलाओं के लिए सहकारी संस्थाओं में 33% आरक्षण की मंजूरी दी गई है।  

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