बीते एक जुलाई को लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर कोहराम मच गया l गौरतलब है कि राहुल गांधी ने अपने संबोधन में हिंदुओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस को लेकर टिप्पणी की थी। राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था कि जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं, वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा, नफरत-नफरत करते हैं। राहुल गांधी के इस बयान पर पीएम मोदी ने भी आपत्ति ली थी और कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर बात है। राहुल के इस बयान की प्रतिक्रिया में सत्तापक्ष, हिंदूवादी संगठनों द्वारा देश भर में गंभीर प्रतिक्रिया हुई l राहुल गांधी ने यह बतौर नेता विपक्ष अपना पहला भाषण दिया। राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘जो लोग अपने आप को हिंदू कहते हैं, वह 24 घंटे हिंसा, नफरत और झूठ बोलते रहते हैं। ये हिंदू हैं ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ लिखा है कि सच के साथ खड़ा होना चाहिए और सच से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। अहिंसा फैलानी चाहिए।’ राहुल की इस बात पर पीएम मोदी ने आपत्ति जताई तो राहुल गांधी ने कहा कि मैंने भाजपा को हिंसक कहा है, नरेंद्र मोदी पूरा हिंदू समाज नहीं हैं। भाजपा पूरा हिंदू समाज नहीं है। आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है.
राहुल गांधी की टिप्पणी पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ‘शोर-शराबा करके इतने बड़े कृत्य को छिपाया नहीं जा सकता। विपक्ष के नेता ने कहा कि जो अपने आप को हिंदू कहते हैं, वह हिंसा करते हैं। इनको शायद मालूम नहीं कि करोड़ों लोग खुद को गर्व से हिंदू कहते हैं, क्या वे सभी हिंसा करते हैं। हिंसा की भावना को किसी धर्म से जोड़ना गलत है और उन्हें माफी मांगनी चाहिए।’
लोकसभा की कार्यवाही से अपने भाषण के अंश हटाए जाने पर राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी ने कहा कि, ‘मोदी जी की दुनिया में सच्चाई को मिटाया जा सकता है लेकिन हकीकत में सच्चाई को मिटाया नहीं जा सकता है। जो मैंने कहा और जो मुझे कहना था मैंने कह दिया, वह सच्चाई है, अब उन्हें जो मिटाना है मिटाएं। अब सवाल यह उठता है सैकड़ो सालों से इस देश के अधिकांश लोग अपने आप को हिंदू कहते आ रहे है, सैकड़ो मनीषी, स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने वाले लोग भी अपने आप को हिंदू कहने से परहेज नहीं करते थे l आजादी के पूर्व के कई कांग्रेसी नेता भी हिंदुत्व, हिंदू की बात मुखर होकर करते थे l तिलक, महात्मा गाँधी, मालवीय आदि l गाँधी जी खुद को सनातनी हिंदू कहते थे l स्वामी विवेकानंद ने तो उदघोष किया था गर्व से कहो कि हम हिंदू है, तो इतना कहने भर से अहिंसा के पुजारी गाँधी जी समेत सभी लोग क्या हिंसक ही कहे जायेंगे ? भारत ने अथवा यहाँ के अपवाद स्वरूप चोल और विजयनगर सम्राज्य के कुछ राजाओं को छोड़ दिया जाए तो किसी ने आक्रमणकारी के रूप में विदेशी भूमि पर कदम नहीं रखा l
हा इतना अवश्य है कि कुछ लोग ऐसा कहने में गर्व की अनुभूति करते है l तो तमाम धर्मो के लोग अपने धर्म, मजहब के होने की बात गर्व से कहते है इतना कहने मात्र से वे हिंसक नहीं हो जाते है l फिर हिंदू, हिंदुत्व पर सुप्रीम कोर्ट के 11 दिसंबर 1995 को जस्टिस जेएस वर्मा की पीठ ने हिंदुत्व को भारतीय लोगों की जीवन शैली कहा था। पीठ ने कहा कि हिंदुत्व को सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता है। एक विद्वान ने Hindu शब्द की व्याख्या कुछ इस प्रकार की है जो आज के संदर्भ में प्रासंगिक होनी चाहिए – H का मतलब humanity अर्थात मानवता, I का मतलब integrity अर्थात एकात्मता, N का मतलब nationality अर्थात राष्ट्रीयता, D का मतलब duty अर्थात कर्तव्य और U का मतलब unity अर्थात एकता l
राहुल गांधी के इस बयान का राजनीतिक संदर्भ महत्वपूर्ण है। भारतीय राजनीति में धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान है और इस प्रकार के बयान राजनीतिक तापमान को और बढ़ा देते हैं। बीजेपी और कांग्रेस के बीच पहले से ही तीखा राजनीतिक संघर्ष है, और राहुल गांधी के इस बयान ने बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का एक नया अवसर प्रदान किया।
भारत में धर्म एक संवेदनशील मुद्दा है। हिंदू धर्म भारत की बहुसंख्यक धर्म है, और इस धर्म के अनुयायी अपने धर्म के प्रति गहरा सम्मान और संवेदनशीलता रखते हैं। राहुल गांधी के इस बयान से हिंदू समुदाय में आक्रोश पैदा हुआ। कई हिंदू संगठनों और धार्मिक नेताओं ने इस बयान की कड़ी निंदा की और इसे हिंदुओं की प्रतिष्ठा पर हमला बताया।
राहुल गांधी द्वारा हिंदुओं को हिंसक कहने पर मचा कोहराम भारतीय समाज और राजनीति में धर्म की संवेदनशीलता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। ऐसे बयानों का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव गहरा होता है और यह समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ावा देता है। राहुल गांधी का बयान और इसके बाद का विवाद यह दिखाता है कि भारत में धर्म और राजनीति कितने गहरे जुड़े हुए हैं और इन मुद्दों पर संवेदनशीलता बरतने की आवश्यकता है।
लेखक – मुनीष त्रिपाठी,पत्रकार, इतिहासकार और साहित्यकार है