
लखनऊ- इन दिनों उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल उपचुनाव की जंग को जीतने के लिए प्लानिंग कर रहे है. इसी बीच बसपा सुप्रीमो मायावती के सोशल मीडिया एक्स पर किए गए एक पोस्ट में प्रदेश में सियासी हलचल को बढ़ा दिया है.
मायावती ने अपने पोस्ट में लिखा कि सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक़ उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?…
देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती.
अब मायावती के आरक्षण को लेकर किए गए इस ट्वीट पर कितने नेताओं की ओर से प्रतिक्रिया आती है ये देखना काफी ज्यादा दिलचस्प होगा.









