Sperm और Egg डोनेट करने वालों का बच्चे पर नहीं है कोई कानूनी अधिकार, बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा आदेश

इस दौरान कोर्ट ने कहा कि दानकर्ता बच्चों को लेकर जैविक मात-पिता का दावा नहीं कर सकता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को सेरोगेसी से जुड़ी याचिका को यह फैसला सुनाते हुए खारिज कर दिया कि शुक्राणु या अंडाणु देने वाले का बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है। वहीं कोर्ट के आदेश के बाद 42 साल की महिला को जुड़वा बेटियों से मिलने की मंजूरी मिल गई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि दानकर्ता बच्चों को लेकर जैविक मात-पिता का दावा नहीं कर सकता है।

महिला ने दाखिल किया याचिका

दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट में महिला द्वारा एक याचिका दाखिल किया गया था। जिसमें महिला ने कहा कि सेरोगेसी के माध्यस से जन्म ले चुकी उनकी बेटियां उसके पति और छोटी बहन के साथ रह रही हैं। वहीं उसके पति ने यह दावा किया कि उसकी साली ने अंडाणू दान किया था। ऐसे में उन बच्चों की जैविक मां कहलाने का अधिकार उसकी साली को है न कि उसकी पत्नी को।

पति के दावे को किया खारिज

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस मिलिंद जाधव ने पति के दावे को खारिज कर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की छोटी बहन भले ही अंडाणु दान करने वाली है, लेकिन उनके बेटियों की मां कहलाने का कोई भी कानूनी अधिकार नहीं है। ऐसे में वह जुड़वां बच्चों की जैविक मां नहीं हो सकती हैं। इसके अलावा जज ने कहा कि वह स्व इच्छा से दान की थी। उनके पास ज्यादा से ज्यादा बस आनुवांशिक मां कहलाने की योग्यता है।

Related Articles

Back to top button