
अयोध्या के राम पथ और भक्ति पथ पर लगी बैंबू लाइट और गोबो प्रोजेक्टर लाइट का मामला अब रुख बदलता नजर आ रहा है। लाइटें चोरी होने की शिकायत करने वाली एजेंसी ही अब कटघरे में खड़ी हो गई है। दरअसल, उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है। बताया जा रहा है कि संबंधित एजेंसी के प्रोपराइटर की काम से अधिक पेमेंट पाने की चाहत उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा सकती है।
सचिव ने कही यह बात
दरअसल, राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समय अयोध्या को खूबसूरत तरीके से सजाया गया था। इसी के लिए राम पथ और भक्ति पथ के किनारे के पेड़ो पर 6400 बैंबू लाइट लगाने का अनुबंध अयोध्या विकास प्राधिकरण ने यश इंटर प्राइजेज को दिया था। अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव सत्येंद्र सिंह ने भारत समाचार की टीम से बात करते हुए बताया कि इस अनुबंध पत्र में एक साल तक इन लाइटों की देखरेख और मेंटेनेंस की शर्त भी शामिल थी। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद जब कार्य का सत्यापन किया गया तो पेड़ों पर लगाई गई बैंबू लाइट लगभग 2450 के आसपास ही पाया गया। हालांकि विकास प्राधिकरण ने इसे औसतन 2600 का आंकड़ा माना और इसी के अनुरूप लगभग 23 लाख से अधिक की धनराशि का भुगतान भी किया गया ।
ऑनलाइन की गई शिकायत
इसी बीच यश इंटर प्राइजेज और कृष्णा आटो मोबाइल दोनों का प्रतिनिधि बताते हुए शेखर शर्मा ने 13 अगस्त को थाना राम जन्मभूमि पुलिस को एक ऑनलाइन शिकायत की। जिसमें उसने 9 मई के निरीक्षण का हवाला दिया और इस निरीक्षण के दौरान 3800 बैंबू लाइट और 36 गोबो प्रोजेक्टर लाइट चोरी होने की बात कही। इस शिकायत की बात जब सामने आई तो अचानक राजनैतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई है। हालांकि इसके बाद विकास प्राधिकरण और अयोध्या पुलिस की जांच में यह पूरा मामला ही अलग रुख लेता हुआ दिखाई दिया।
कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप
यश इंटरप्राइजेज की 13 अगस्त की शिकायत पर जांच शुरू ही हुई थी कि 15 अगस्त को अयोध्या विकास प्राधिकरण के जूनियर इंजीनियर की तरफ से श्री राम जन्मभूमि थाने में एक मुकदमा पंजीकृत कराया गया। इस मुकदमे में अयोध्या विकास प्राधिकरण की तरफ से कहा गया था कि यश इंटरप्राइजेज ने बिना काम पूरा किए हुए ही कार्य पूर्ण होने का सत्यापन प्रमाण पत्र देकर धोखाधड़ी की है।









