लेटरल एंट्री को लेकर गरमाई सियासत जानिए किसने क्या कहा-

लेटरल एंट्री का मुद्दा लगातार तूल पकड़ता ही जा रहा है। बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर हमलावर हैं।

लेटरल एंट्री का मुद्दा लगातार तूल पकड़ता ही जा रहा है। बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर हमलावर हैं। जैसे ही लेटरल एंट्री के विज्ञापन को रद्द करने का आदेश आया। उत्तर प्रदेश समेत देश के अलग-अलग राज्यों से नेताओं की टिप्पणियाँ इस मुद्दे पर आने लगीं हैं। चलिए बताते हैं आपको इस मुद्दे को लेकर किसने क्या कहा-

आरक्षण विरोधी है मोदी सरकार

लेटरल एंट्री के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को घेरते हुए कहा कि भाजपा लेटरल एंट्री के बहाने आरक्षण को ही समाप्त करना चाहती है। पीएम के अलावा उन्होंने चिराग पासवान और जीतन राम मांझी पर भी निशाना साधा और कहा कि जीतन राम मांझी और चिराग पासवान कर क्या रहे हैं। मांझी खुद क्रीमी लेयर का सपोर्ट करते हैं। चिराग पासवान हां में हां मिलाने का काम कर रहे हैं। अगर उनके पिता जी होते तो क्या ऐसा होने देते? वो इसका कड़ा विरोध करते।

अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर साधा निशाना गिनाए नाम

लेटरल एंट्री के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में कई बड़े नामों को लेटरल एंट्री के जरिए एंट्री मिली। दरअसल, मुद्दे को बढ़ता देख उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि लेटरल एंट्री का मुद्दा आज से नहीं बल्कि कांग्रेस के समय से चला आ रहा है। बता दें कि उन्होंने इसपर बड़ा उदाहरण देते हुए देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया का नाम लिया। उन्होंने तर्क दिया कि ये सेवा कहीं से भी नई नहीं है। इसमें 45 पद हमेशा से ही प्रस्तावित रहे हैं। देखा जाए तो 4500 से ज्यादा पदों वाले IAS भर्ती कैडर का ये मात्र 0.5 प्रतिशत ही है। बता दें अश्विनी वैष्णव ने कुछ प्रमुख ब्यूरोक्रैट्स के नाम भी गिनाए जो लेटरल एंट्री से ही आए हैं- जिनमें सैम पित्रोदा और वी. कृष्णमूर्ति, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक बसु, अरविंद विरमानी, रघुराम राजन और अहलूवालिया का नाम शामिल है।

बसपा सुप्रीमो की आई प्रतिक्रिया

लेटरल एंट्री पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी प्रतिक्रिया दी, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव और निदेशक आदि के उच्च पदों पर आरक्षण सहित सामान्य प्रक्रिया से प्रमोशन व बहाली के बजाय भारी वेतन पर बाहर के 47 लोगों की लेटरल नियुक्ति बीएसपी के तीव्र विरोध के बाद आज रद्द कर दिया गया है। किन्तु ऐसी सभी आरक्षण विरोधी प्रक्रियाओं को हर स्तर पर रोक लगाने की जरूरत है। साथ ही, दिनांक 1 अगस्त 2024 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध SC-ST के पूर्व की आरक्षण व्यवस्था को बहाल करने हेतु केन्द्र संविधान संशोधन की कार्यवाही करे, जिसको लेकर कल इन वर्गों ने “भारत बंद” का आहवान, जिनसे इसे बिना कोई हिंसा के अर्थात् शान्तिपूर्ण करने की अपील की गई थी।

Related Articles

Back to top button