राम रहीम की पैरोल के बाद कितनी बदली हरियाणा की चुनावी तस्वीर, क्या बीजेपी को मिलेगा फायदा ?

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को चुनाव के आखिरी समय में चुनाव आयोग द्वारा पैरोल दे दी गयी। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह पैरोल काफी अहम मानी जा रही है।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव अब अपने आखिरी चरण में है। आज यानि की गुरुवार को वहां चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। शाम छह बजे ही चुनाव प्रचार का शोर खत्म हो जाएगा। हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों पर 5 अक्तूबर को वोटिंग होगी जबकि चुनाव के नतीजे 8 अक्तूबर को घोषित होंगे। इस विधानसभा चुनाव में विपक्ष और सत्ता पक्ष के आपसी बयान के साथ ही स्थानीय मुद्दे ने खूब तूल पकड़ा था। लेकिन इसके साथ ही डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह का भी मुद्दा एक बार सुर्खियों में फिर आ गया हैं।

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को चुनाव के आखिरी समय में चुनाव आयोग द्वारा पैरोल दे दी गयी। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह पैरोल काफी अहम मानी जा रही है। कांग्रेस ने रिहाई पर चुनाव में धांधली और चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। फिलहाल कांग्रेस के इस आरोप के बाद चुनाव आयोग ने राम रहीम को पैरोल देते हुए उनको कोई बयान न जारी करने, किसी चुनावी सभा में शामिल होने, सोशल मीडिया या वीडियो के माध्यम से कोई संदेश जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन शर्तों के साथ उसकी पैरोल शर्त को मंजूर दी गयी।

अब यह देखना होगा कि जेल से आने के बाद क्या सच में राम रहीम हरियाणा चुनाव को प्रभावित कर सकता है। 5 अक्तूबर को हरियाणा में वोटिंग होनी है। वोटिंग से पहले वह जेल से बाहर है, इस दौरान वह चुनाव को कितना प्रभावित कर पाएगा, इस पर अभी से तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। मिडिया रिपोर्ट की माने तो यहा दावा किया जाता है कि राम रहीम का हरियाणा के 9 जिलों की करीब 30 से अधिक सीटों पर दखल है। राज्य में 50 लाख से ज्यादा लोग उसके फॉलोअर्स हैं। भाजपा सरकार में उन्हें कई बार जेल से पैरोल से मिली है, जिसके बाद उनके अनुयायी यह अनुमान लगा रहे है कि राम रहीम द्वारा यह सन्देश दिया जाएगा कि भाजपा को वोट करो, फिलहाल अब ये तो 8 अक्टूबर को ही पता लग पाएगा कि राम रहीम को इतनी पैरोल मिलने से भाजपा को कितना फायदा हुआ।

इन सीटों पर राम रहीम का रहा दबदबा

अगर स्थानीय रिपोर्ट और सियासी पंडितों की माने तो हरियाणा के 30 से अधिक सीटों पर राम रहीम जिसको चाहता था उसकी जीत होती थी। फरलो मिलने के बाद अपने समर्थकों को जो संदेष देता था वो आग की तरह उसके सभी अनुयायियों में तेजी से फैल जाता था। इनका कम्युनिकेशन नेटवर्क बहुत व्यवस्थित होता है। ये पूरी तरह से संगठित होता है। आप ने आश्रम वेब सीरीज तो जरुरु देखी किस तरह से अपने जरूरत की हिसाब बाबा निराला नेताओं सहयोग करके बनवाता था। ठीक उसी प्रकार राम रहीम राजनीतिक फायदे को देखते हुए राजनीतिक नेताओं का सहयोग करता था। राम रहीम हर पक्ष को समझने के बाद फैसला लेता है।

दलित वोटबैंक पर राम रहीम की मजबूत पकड़ !

में करीब 20 प्रतिशत आबादी दलित वोटर्स की है। सबसे अधिक मारामारी दलित वोटों को लेकर है। यहां का जाट वोटबैंक ज्यादातर कांग्रेस के साथ है। पंजाबी हिंदू और पिछड़ा वोट अधिकतर बीजेपी के साथ हैं। वहीं अगर बात करें बनिया वोट की तो वह भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ है। वहीं इनेलो और बसपा का गठबंधन है और जेजेपी भी आजाद समाज पार्टी के साथ है, लेकिन इन दोनों पार्टी दलित वोटर को अपने पाले में लाने के लिए कुछ खास नहीं कर प् रही है। आम आदमी पार्टी इस विधानसभा चुनाव की लड़ाई में मैदान पर है, उसका कैंपेन देखकर लगता है कि वह इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी। वहीं चुनाव से ठीक समय पहले राम रहीम को पैरोल मिलने से जो दलित वोट बैंक बाबा के साथ है वह उसके कहने पर ही जायेगा।

विनेश फोगाट मामले में बीजेपी को होगा नुकसान ?

भाजपा सांसद बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोपों पर पहलवानों के प्रदर्शन से लेकर पेरिस ओलिंपिक तक हरियाणा के खिलाड़ी चर्चा में रहे। इस प्रदर्शन का मुख्य चेहरा रही विनेश फोगाट। पहलवानों के प्रदर्शन को सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया था। बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए विनेश फोगाट के समर्थन में बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक समेत कई पहलवान शामिल हुए। विनेश फोगाट हरियाणा के जुलाना विधानसभा से कांग्रेस पार्टी की तरफ से मैदान है। हरियाणा में खेल और खिलाड़ी बड़ा सियासी मुद्दा बन गया। पहलवानों का यह मुद्दा बीजेपी को इस चुनाव में भारी पद सकता है। फिलहाल अब 5 अक्टूबर में सभी दावेदारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी और 8 अक्टूबर को परिणाम हम सबके सामने होगा।

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