Haryana Election Result: कांग्रेस की राजनीति पर भारी पड़ी भाजपा की रणनीति, 57 साल के इतिहास का BJP ने तोड़ा रिकॉर्ड

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की सभी सीटों पर 5 अक्टूबर को एक ही चरण में वोट डाले गए थे. चुनाव में 67 फीसदी से ज्यादा वोटिंग..

Haryana Election Result: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का अनोखा रिजल्ट आया है. जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की था. एक वक्त तक लग रहा था कि कांग्रेस की बंपर जीत होगी लेकिन, अचानक से हार की हवा बीजेपी की जीत में बदल गई और बाजी पलट गई.. 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में बीजेपी 48 सीट जीतने में सफल रही है. वहीं, जीत को लेकर अति उत्साह में नजर आने वाली कांग्रेस को 37 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. इस तरह से कांग्रेस एक बार फिर हरियाणा की सत्ता तक पहुंचने से दूर रह गई.

दोनों के बड़े चेहरे चुनाव जीतने में सफल

हालांकि हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बड़े चेहरे चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैना लाडवा सीट पर जीत दर्ज की. अंबाला कैंट से अनिल विज ने भी अपनी जीत की लय को बरकरार रखा है. दूसरी ओर गढ़ी-सांपला-किलोई से कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा चुनाव जीतने में सफल रहे. जुलाना से विनेश फोगाट को भी जीत मिली. चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी का सफाया हो गया. जेजेपी ने 2019 में बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी और दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने थे. दुष्यंत चौटाला इस बार उचाना कलां सीट से मैदान में थे, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके. अभय चौटाला के नेतृत्व वाली आईएनएलडी भी बड़ा कमाल नहीं कर पाई और उसे मात्र 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा.

खैर इन सब के बावजूद एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा हैं कि आखिर ये बाजी कैसे पलटी, आखिर कांग्रेस कहां फेल हो गई, साथ ही भाजपा को तीसरी बार हैट्रिक लगाने से क्यों नहीं रोक पाई और मात्र 36 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा.

कांग्रेस का जाट-दलित समीकरण बना नुकसानदायक

दरअसल कांग्रेस जहां जाट-दलित समीकरण बनाती दिखी तो दूसरी ओर भाजपा ने गैर-जाटों, मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित किया. हरियाणा में ओबीसी की आबादी करीब 35 फीसदी है. भाजपा ने अपने परंपरागत सवर्ण वोट के साथ गैर जाट वोटों को साधा. साथ ही कई अभियान चलाकार अनुसूचित जाति तक भी पहुंचने की कोशिश की और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. इसने भाजपा को सीधा फायदा पहुंचाया और हरियाणा में हैट्रिक के करीब पहुंचा दिया.

इनेलो-बसपा और जेजेपी-असपा गठबंधन बना कांग्रेस के लिए खतरा

हरियाणा में अगर कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों की बात की जाए तो इनेलो-बसपा गठबंधन और जेजेपी-असपा गठबंधन भी मुकाबले में था. दोनों ही गठबंधन बहुत बड़ा फर्क पैदा करने में नाकाम रहे लेकिन ये भी दिलचस्प बात है कि ये दोनों ही गठबंधन दलित और जाटों के भरोसे थे. जेजेपी और इनेलो जाटों पर तो असपा और बसपा दलितों पर निर्भर पार्टियां हैं. ऐसे में करीबी मुकाबलों वाली सीटों पर ये गठबंधन भाजपा के बजाय कांग्रेस के लिए ही नुकसानदेह साबित हुए. इससे कहीं ना कहीं भाजपा को फायदा हुआ और कांग्रेस को नुकसान हुआ.

BJP ने तोड़ा 57 साल का रिकॉर्ड

इसी के साथ भाजपा ने वो कर दिखाया हैं जो कोई और पार्टी नहीं कर पाई हैं. हरियाणा के 57 साल के इतिहास में भाजपा पहली पार्टी है, जो लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हुई हैं.

वोट प्रतिशत में कांग्रेस ने दी भाजपा को टक्कर

इसी के साथ अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो सत्ता तक पहुंचने में सफल होने वाली बीजेपी को 39.94 फीसदी वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस 39.09 प्रतिशत वोट मिले हैं. अभय चौटाला की अगुवाई वाली आईएनएलडी 4.14 फीसदी वोट के साथ तीसरे नंबर पर है. बीएसपी को 1.82, आम आदमी पार्टी को 1.79 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि अन्य के हिस्से में 11.64 फीसदी वोट गए हैं. बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहा है.

67 फीसदी से ज्यादा हुई वोटिंग

बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की सभी सीटों पर 5 अक्टूबर को एक ही चरण में वोट डाले गए थे. चुनाव में 67 फीसदी से ज्यादा वोटिंग दर्ज हुई थी. इस बार के चुनाव में कुल 1031 उम्मीदवार मैदान में थे, इनमें से 90 को जीत मिली है. पहले चुनाव 1 अक्टूबर को होने वाले थे, लेकिन छुट्टियों और त्योहारों को देखते हुए चुनाव आयोग ने वोटिंग को आगे टाल दिया था.

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