बहराइच में हिंसा पीड़ितों से मिलने जा रहे मौलाना हकीमुद्दीन को लखनऊ हवाई अड्डे पर पुलिस ने रोका, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने जताई चिंता

जमीयत उलमा-ए-हिंद यह मांग करती है कि प्रतिनिधिमंडल को तुरंत रिहा किया जाए और उन्हें अपना कार्य पूरा करने की अनुमति दी जाए।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल बहराइच के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों की सहायता के लिए जा रहा था। जिसे आज यानी शनिवार की शाम लखनऊ हवाई अड्डे पर उतरते ही पुलिस एजेंसियों ने हिरासत में ले लिया। पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया और बहराइच जाने की अनुमति नहीं दी। मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के साथ मौलाना ग़यूर कासमी भी शामिल थे। बता दें जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर प्रतिनिधिमंडल बहराइच जा रहा था।

प्रभावित लोगों से मिलना था दौरे का मकसद

यह उल्लेखनीय है कि जमीयत का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली से बहराइच के लिए रवाना हुआ था। इस दौरे का उद्देश्य बहराइच के प्रभावित लोगों से मिलना, उनकी स्थिति की जानकारी लेना और उनकी हर संभव मदद करना था। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हमेशा देश में शांति, भाईचारे और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का काम किया है, और बिना किसी धार्मिक भेदभाव के हर प्रकार के पीड़ितों की सहायता करना अपना कर्तव्य समझा है।

पुलिस के कदम पर व्यक्त की चिंता

जमीयत उलमा-ए-हिंद पुलिस के इस कदम पर गहरी चिंता व्यक्त करती है और यह सवाल उठाती है कि आखिर पीड़ितों की मदद के लिए जा रहे प्रतिनिधिमंडल को रोकने का क्या कारण है? जमीयत उलमा-ए-हिंद यह मांग करती है कि प्रतिनिधिमंडल को तुरंत रिहा किया जाए और उन्हें अपना कार्य पूरा करने की अनुमति दी जाए। जमीयत उलमा-ए-हिंद हर हाल में अपने सामाजिक और मानवीय कर्तव्यों का पालन करती रहेगी, और ऐसे कदम उनकी संघर्षशीलता को रोक नहीं सकते।

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