केंद्र सरकार ने साफ चेतावनी दी है कि नोटरीकृत विवाह और तलाक दोनों ही अवैध हैं, और इन प्रथाओं में शामिल नोटरी कराने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
भारत सरकार के उप सचिव ने मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि- “नोटरी के जरिए इस तरह की गलत हरकतें वैवाहिक कानूनी अखंडता और गंभीर प्रकृति को बाधित करती हैं।” “ऐसी गतिविधियों में शामिल होना जो स्पष्ट रूप से उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं, न केवल कानूनी प्रक्रिया को कमजोर करता है, बल्कि ऐसे कामों में शामिल पक्षों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम भी पैदा करती हैं!”
मंत्रालय के ज्ञापन में कई उदाहरणों का उल्लेख किया गया है, जिनमें पार्थ सारथी दास बनाम उड़ीसा राज्य का निर्णय शामिल है। इस मामले में अदालत ने कहा था कि नोटरी के पास विवाह अधिकारी के रूप में कार्य करने का कानूनी अधिकार नहीं है। इसके अतिरिक्त, भगवान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी हवाला दिया गया, जिसमें नोटरी के कर्तव्यों को नियंत्रित करने वाले विधायी ढांचे के पालन के महत्व को उजागर किया गया है।
बता दें कि सरकार अब इस नियम को और अधिक सख्ती से लागू करने के लिए कदम उठा रही है, जिसमें नोटरी की गतिविधियों को बारीकी से निगरानी करने के आदेश भी जारी किये गए हैं।