मुख्य सचिव ने संस्थान के प्रमुखों के साथ की बैठक, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए किया मंथन

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने चिकित्सा संस्थानों व अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था, प्रबन्धन एवं विशेष रूप से इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधाये आदि के सम्बन्ध में सम्बन्धित संस्थान के प्रमुखों के साथ बैठक की. ऐसे में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि मरीजों को उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने में उत्तर प्रदेश शासन का सर्वाधिक फोकस रहा है. प्रदेश में तेजी से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कार्य हो रहा है. हेल्थ सेक्टर में बहुत सारा निवेश हुआ है.

Lucknow : मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने चिकित्सा संस्थानों व अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था, प्रबन्धन एवं विशेष रूप से इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधाये आदि के सम्बन्ध में सम्बन्धित संस्थान के प्रमुखों के साथ बैठक की. ऐसे में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि मरीजों को उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने में उत्तर प्रदेश शासन का सर्वाधिक फोकस रहा है. प्रदेश में तेजी से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कार्य हो रहा है. हेल्थ सेक्टर में बहुत सारा निवेश हुआ है.

आपको बता दें मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि टेक्नालॉजी का उपयोग कर स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाया जाये. पीजीआई, केजीएमयू, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, बलरामपुर, सिविल और लोक बंधु अस्पतालों में बेड की उपलब्धता स्थिति को पब्लिक डोमेन में डाला जाए. उन्होंने संस्थान के प्रमुखों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि शासकीय अस्पतालों व संस्थानों में बेस्ट डॉक्टर्स व इंफ्रास्ट्रक्चर तथा पर्याप्त मात्रा में स्टाफ उपलब्ध है. उच्च स्तरीय निजी चिकित्सा संस्थानों में प्रायः शासकीय अस्पतालों व संस्थानों से सेवानिवृत्त चिकित्सक कार्य करते हैं. शासकीय अस्पताल आने वाले मरीज व तीमारदार अच्छा अनुभव लेकर जायें और बाहर जाकर अस्पताल व डॉक्टर की तारीफ करें. इस पर सोचने व कार्य करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि आने वाला व्यक्ति परेशान होता है. अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि अस्पताल में उपलब्ध डॉक्टर्स, स्टाफ व इंफ्रास्ट्रक्चर का बेहतर उपयोग कर मरीजों को उच्च स्तरीय उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराये. अस्पताल एंट्रेंस पॉइंट पर एक टीम मौजूद रहे. जो यह सुनिश्चित करे कि आने वाला मरीज के साथ सही व्यवहार हो. आवश्यकतानुसार उसे वार्ड ब्वाय, व्हीलचेयर व स्ट्रेचर की सुविधा मिले. स्ट्रेचर अथवा व्हीलचेयर से मरीज को कहां जाना है. और क्या करना है, इस बारे में गाइड करने की व्यवस्था हो. कहीं भी स्ट्रेचर व व्हीलचेयर को ताले में न रहे. इमरजेंसी वार्ड के पास भी अस्पताल प्रशासन की टीम होनी चाहिए.

आगे उन्होंने कहा कि मरीज के साथ अच्छा बर्ताव, बीमारी के बारे में सही से ब्रीफिंग और उचित गाइडेंस देने से किसी तरह की कोई शिकायत की गुंजाइश नहीं रह जाएगी. अस्पताल आने वाले व्यक्ति अच्छा अनुभव लेकर जायेंगे और बाहर जाकर वह संस्थान व डॉक्टर्स की प्रशंसा भी करेंगे. बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉक्टर बृजेश राठौर, केजीएमयू की वीसी सोनिया नित्यानंद, निदेशक राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान प्रो. सीएम सिंह सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के शासकीय अस्पतालों के प्रमुख व प्रशासनिक अधिकारीगण आदि उपस्थित थे.

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