
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारियों को लेकर एक तल्ख टिप्पणी की है। इस दौरान न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने कहा कि जिलाधिकारी को डाकघर की तरह काम नहीं करना चाहिए और पुलिस द्वारा दी गई सूचना को नियुक्ति प्राधिकारी को नहीं नहीं भेजना चाहिए। उसे स्वतंत्र रूप से यह आकलन करना चाहिए कि क्या उम्मीदवार का आपराधिक इतिहास उसे पद के लिए अयोग्य बनाता है।
हाई कोर्ट ने की ये टिप्पणी
हाई कोर्ट की तरफ से कहा गया कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ वैवाहिक मुकदमा चल रहा है तो उसको सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि सार्वजनिक रोजगार एक तीव्र गति वाली प्रक्रिया है। जिसे प्राप्त करने के अवसर उम्र के साथ कम होते जाते हैं। किसी उम्मीदवार से यह अपेक्षा करना उचित नहीं है कि वह अपना अवसर छोड़ दे।
हाई कोर्ट के जज जेजे मुनीर ने कहा कि सालों तक मुकदमे का इंतजार करें और जब परिणाम बरी होने की ओर ले जाए तो वह अपनी पात्रता दोबारा प्राप्त कर लें।