गुजरात की कंपनी से रिश्वत लेकर खरीदी करोड़ों की घटिया एचटी केबिल, चुप रही एमडी PVVNL

मेरठ के पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अफसरों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी है. केन्द्र सरकार की गाइडलाइन्स की धज्जियां उड़ाते हुए अफसरों ने गुजरात की टीसीएल कंपनी को करोड़ों का फायदा पहुंचाते हुए 18 किलोमीटर लंबी घटिया केबिल खरीद ली. विद्युत उपभोक्ता परिषद की शिकायत के बाद पीवीवीएनएल की एमडी ईशा दुहन ने घोटाले की जांच की रस्म अदायगी की है.

मामला इसी साल के मार्च और अप्रैल महीने का है. एलएंडटी कंपनी को केन्द्र सरकार से पश्चिमांचल में एक प्रोजेक्ट का टेंडर मिला हुआ है. इस टेंडर में प्रयोग होने वाली सामिग्री की क्वालिटी पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की निगरानी में होती है. गुजरात के नाडियाड की टोरेंट इलैक्ट्रीकल प्राइवेट लिमिटेड को इस प्रोजेक्ट में 18 किलोमीटर लंबी एचटी केबिल सप्लाई का काम मिला था. इस केबिल की कीमत एक करोड़ अस्सी लाख रूपये है.

12 मार्च 2024 को पीवीवीएनएल के अधिकारियों ने गुजरात में कंपनी पर जाकर केबिल का प्री-डिस्पैच निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान केबिल घटिया पायी गयी. 20 में से 15 ड्रम केबिल में पीवीवीएनएल का नाम स्पष्ट नही था. 3 ड्रमों की केबिल में बबल पड़े हुए हुए थे. यानी इन ड्रमों की केबिल फूली हुई और घटिया थी.

केबिल के ऊपर डिस्कॉम का नाम कंपनी के नाम के साथ प्रिंट किया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सप्लाई मेटेरियल घटिया मिलने पर संबधित कंपनी पर कार्रवाई की जा सके. लेकिन नाम छुपाने की नीयत से स्पष्ट और उभरा हुआ नाम प्रिंट नही किया गया. घटिया केबिल होने की वजह से कंपनी ने यह सब साजिशन किया.

ड्रम संख्या एएन-61367जे में केबिल के ऊपर ऑक्सीडाइज्ड कॉपर टेप चिपका हुआ मिला है. ऐसा होना बेहद चिंताजनक है. यह साबित करता है कि प्रोजेक्ट में घटिया केबिल भ्रष्टाचार के चलते लगाये जाने की अफसरों ने साजिश रची थी. इसके अलावा दो अन्य ड्रमों में केबिल कटी हुई मिली थी.

पीवीवीएनएल के अफसर के पहले निरीक्षण में 12 मार्च 2024 को ही केबिल घटिया मिलने पर आपत्ति दर्ज कर दी गयी थी. केन्द्र सरकार की एसबीजी (स्टेंन्डर्ड बिडिंग गाइडलाइन) के मुताबिक पहले निरीक्षण में सामिग्री घटिया मिलने पर कंपनी के ऊपर 50 हजार रूपये का जुर्माना, निरीक्षण टीम का जीएसटी समेत खर्चा भुगतना होता है. जबकि दूसरे निरीक्षण में सामिग्री की सप्लाई निरस्त करनी होती है.

पीवीवीएनएल की क्वालिटी सेल ने टीसीएल की घटिया केबिल का दूसरी बार भी निरीक्षण कराया. इस बार अधिकारी ने पहले निरीक्षण की तरह आपत्ति तो लगाई लेकिन सप्लाई रद्द नही की.

दूसरे निरीक्षण के महज 7 दिन बाद 20 अप्रैल 2024 को पीवीवीएनएल के क्वालिटी सेल ने शिकायत प्रकोष्ठ में तैनात एक्सईएन कृष्णकुमार सारस्वत को तीसरी बार घटिया केबिल के निरीक्षण के लिए भेजा. इस निरीक्षण में सारस्वत ने फीलगुड करके घटिया केबिल पर ओके टेस्टिड की मुहर लगा दी. आरोप है कि सारस्वत ने इस काम के लिए 15 लाख रूपये की रिश्वत वसूल की.

(घटिया केबिल सप्लाई करने वाली गुजरात की कंपनी को लाभ पहुंचाने वाला एक्सईएन कृष्णकुमार सारस्वत)

पीवीवीएनएल की एमडी ईशा दुहन की आंखों के नीचे यह बंदरबांट का खेल चलता रहा लेकिन उन्हें खबर तक नही हुई. विद्युत उपभोक्ता परिषद् के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इस मामले की शासन से शिकायत की जिसके बाद पीवीवीएनएल एमडी ईशा दुहन ने मामले पर जांच के आदेश दिये है.

इस मामले में क्वालिटी सेल के उन जिम्मेदारों की जांच भी जरूरी है जो बार-बार घटिया केबिल की जांच के लिए कंपनी के कहने पर अधिकारियों को निरीक्षण के लिए भेजते रहे.

विद्युत उपभोक्ता परिषद् के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि पश्चिमांचल में सप्लाई से जुड़े कई घोटाले पिछले दिनों मिले है. यह जनता की सुरक्षा से खिलवाड़ का मामला है. ऐसा लगता कि अधिकारी या तो भ्रष्टाचार में लिप्त है या जानबूझकर अपने अधीनस्थों के भ्रष्टाचार पर आंखें मूंदे हुए है. इस मामले को ऊर्जा मंत्री के सामने रखा जायेगा.

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