Jhansi: मौत का मेडिकल कॉलेज , 10 मासूमों की मौत, आखिर कौन जिम्मेदार?

पिता और माता पर इस वक्त क्या गुजरा होगा.. कितना कष्ट हुआ होगा… इसका अंदाजा कमीशनखोर कभी नहीं लगा सकते… जिन्होंने मेडिकल कालेज में घटिया...

Jhansi: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु वार्ड (NICU) में मंगलवार रात को भीषण आग लग गई। आग शॉर्ट सर्किट के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर में लगी, जिससे बड़ा हादसा हुआ। आग में झुलसने से 10 बच्चों की मौत हो गई, जिनमें से 7 नवजातों की पहचान उनके परिजनों ने कर ली है। घटना में घायल 41 शिशुओं का इलाज जारी है, जबकि 45 अन्य नवजातों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। मेडिकल कॉलेज के NICU में कुल 55 नवजात भर्ती थे।

त्रिस्तरीय जांच का आदेश

स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने घटनास्थल का दौरा किया। पाठक ने बताया कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। “घटना के कारणों की जांच के लिए त्रिस्तरीय जांच आदेशित की गई है—पहली शासन स्तर पर, दूसरी जिला स्तर पर और तीसरी मजिस्ट्रेटी जांच। अगर किसी प्रकार की लापरवाही पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी,” उन्होंने कहा- इस संकट की घड़ी में सरकार बच्चों के परिजनों के साथ खड़ी है और हर संभव मदद दी जाएगी।

प्रशासन की सक्रियता

घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। झांसी के कमिश्नर और डीआईजी ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। प्रशासन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री ने लिया घटनास्थल का संज्ञान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर दुख जताया और घटना का संज्ञान लिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मेडिकल कॉलेज के NICU में हुई घटना अत्यंत दुखद है। दुर्घटना में मारे गए बच्चों की आत्मा को शांति मिले, और घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो।” मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को घटनास्थल पर बचाव कार्य तेज करने और घायलों को उचित इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

“यह घटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है”

वहीं, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी ट्वीट किया, “यह घटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। हम सभी घायल बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। चिकित्सा अधिकारियों को बेहतर उपचार देने के निर्देश दिए गए हैं।”

आखिर जिम्मेदार कौन?

परिजनों की आखों में सिर्फ और सिर्फ आंसू हैं… वो बच्चे को जिंदा लेकर आए सरकारी मेडिकल कॉलेज… बड़ी ही उम्मीद के साथ कि बच्चों का इलाज होगा… लेकिन यहां वापसी में बच्चे को राख की तरह समेट कर ले जाना पड़ा…पिता और माता पर इस वक्त क्या गुजरा होगा.. कितना कष्ट हुआ होगा… इसका अंदाजा कमीशनखोर कभी नहीं लगा सकते… जिन्होंने मेडिकल कालेज में घटिया सामान लगाया और सब स्टैंडर्ड सप्लाई दी.. आखिर जिम्मेदार कौन?

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