पुस्तक पर चर्चा परिचर्चा कार्यक्रम…काव्य संग्रह में DU के प्रोफेसर्स ने एक खास किताब पर दिए अपने-अपने तर्क

चर्चा की शुरुआत डॉ प्रदीप ने करते हुए ,इस काव्य संग्रह की अन्य काव्य संग्रहों की तुलना करते हुए ,आम जीवन का संघर्ष बताया.

Delhi दिल्ली में साहित्य अकादमी का एक खास कार्यक्रम हुआ. जिसमें एक खास किताब को लेकर चर्चा की गई. साहित्य अकादमी के तृतीय तल के सभागार में कार्यक्रम हुआ. बता दें कि पुस्तक पर चर्चा परिचर्चा कार्यक्रम में कई दिग्गज हस्ती शामिल हुए. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.राजशरण शाही ने की.

मुख्य वक्ता के रुप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो सुधीर प्रताप सिंह थे. विशिष्ट वक्ता के तौर पर लेडी श्रीराम कॉलेज की प्रोफ़ेसर सारिका कालरा मौजूद रही थी. बीज व्यक्तव्य के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डा प्रदीप सिंह मौजूद रहे.

इसके अलावा वक्ता के रूप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डा ज्ञानेंद्र ने भी अहम भूमिका निभाई.इसके अलावा खालसा कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ अमरेंद्र पांडे, रामजस कालेज की सहायक प्रोफेसर शुभ्रा दुबे ने भी अपने विचार रखे. रचनाकार के रूप में मैने अपनी साहित्यिक यात्रा को याद किया.सभागार पूरी तरह से भरा हुआ था, जिसमें विद्वत जन के साथ-साथ काफी संख्या में छात्र छात्राएं भी उपस्थित थे. कार्यक्रम करीब तीन बजे से साढ़े पांच बजे तक चला.

बता दें कि अमित कुमार मल्ल का छठा काव्य संग्रह है. वक्ताओं ने इसकी रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए इसे आम आदमी के दैनिक जीवन संघर्ष का काव्य बताया. इस कार्यक्रम की शुरुआत में आयोजक कस्तूरी के पदाधिकारियों द्वारा सभी पैनल व रचनाकार का स्वागत किया.चर्चा की शुरुआत डॉ प्रदीप ने करते हुए ,इस काव्य संग्रह की अन्य काव्य संग्रहों की तुलना करते हुए ,आम जीवन का संघर्ष बताया. वहीं प्रोफेसर शुभ्रा दुबे ने काव्य संग्रह में अप्रत्यक्ष लय की बात कही.अमरेन्द्र पांडे ने तेरे हाथ कविता का विश्लेषण किया।ज्ञानेंद्र ने इसे सामान्य बताया ,जो विशिष्ट है.सारिका कालरा ने पहले के काव्य संग्रहों की तुलना में इसे मैच्योर बताया.सुधीर प्रताप में शीर्षक से विश्लेषण से,अपना वक्तव्य शुरू किया.राज शरण शाही ने सामान्य जीवन का विशिष्ट संघर्ष बताते हुए ,परिचर्चा समाप्त की.

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