
उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन का घटनाक्रम राजनीतिक गर्मी और तनाव से भरपूर रहा। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के विधायकों ने स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के संबोधन के दौरान जमकर नारेबाजी की। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने जब विपक्षी विधायकों से नारेबाजी रोकने के लिए कहा तो अतुल प्रधान नहीं माने। इसी बात से आहात होकर विधानसभा अध्यक्ष ने सपा विधायक अतुल प्रधान को सदन से पूरे सत्र के लिए निष्कासित करने का आदेश दिया।
दरअसल, सदन में जब यूपी के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के संबोधन के बीच विपक्षी विधायकों ने असंसदीय शब्दों का प्रयोग करते हुए नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया था। विपक्ष के ऐसे बर्ताव को देखते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से शिकायत की। जिसके बाद पहले तो महाना ने सबको शांति रखने की अपील की मगर अतुल प्रधान के न मानाने पर उन्हें एक्शन लेना पड़ा। आइये जानते हैं हंगामे की प्रमुख बातें…
संसद में हुआ असंसदीय शब्दों का प्रयोग:
विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी करते हुए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसे लेकर सत्तापक्ष ने आपत्ति जताई। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से शिकायत की।
विधानसभा अध्यक्ष की चेतावनी:
स्पीकर सतीश महाना ने बार-बार विपक्षी विधायकों से सदन की गरिमा बनाए रखने और नारेबाजी रोकने की अपील की। बावजूद इसके, विपक्षी विधायक हंगामा करते रहे।
सपा विधायक अतुल प्रधान का निष्कासन:
सपा विधायक अतुल प्रधान की लगातार नारेबाजी और व्यवधान को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना गुस्से में अपने आसन से खड़े हो गए। उन्होंने अतुल प्रधान को कहा कि वह उनकी सदस्यता भी खत्म कर सकते हैं। मगर इन सबके बावजूद जब अतुल प्रधान बाज नहीं आए तो विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इनको उठाकर सदन से बाहर निकाल दीजिए। सतीश महाना ने अतुल प्रधान से कहा कि आप सदन में ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। आप इस प्रकार की भाषा का एकदम प्रयोग नहीं कर सकते।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
इस घटनाक्रम पर सत्तापक्ष ने विपक्षी दलों पर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया। वहीं, विपक्ष ने इसे अपनी आवाज दबाने की कोशिश बताया। यह घटना राज्य में सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव और राजनीतिक मुद्दों पर तीखी बहस को दर्शाती है।









