
महाकुंभ 2025 का शुभारंभ पौष पूर्णिमा के पावन दिन पर हुआ, और श्रद्धालुओं का जनसैलाब संगम नगरी प्रयागराज में उमड़ पड़ा। लाखों भक्तों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित किया और आध्यात्मिक शांति प्राप्त की।

नन्हें नागा साधु और अखाड़ों का दिव्य प्रवेश
पहली तस्वीर में एक नन्हा नागा साधु, गले में गेंदे के फूलों की माला पहने और जोश से भरा हुआ, श्रद्धालुओं के बीच उत्साह का प्रतीक बना हुआ है। उनके साथ अन्य साधु भी अपनी परंपराओं और श्रद्धा का पालन करते हुए अखाड़ों की शोभायात्रा का हिस्सा बने। अखाड़ों का यह अनोखा दृश्य महाकुंभ के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।

आधी रात का उजाला और श्रद्धालुओं का जनसैलाब
दूसरी तस्वीर में रात के समय हजारों श्रद्धालु भगवा झंडे लहराते हुए संगम की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। चारों ओर लगी रोशनी और माइक से गूंजते धार्मिक भजन माहौल को और भी पवित्र बना रहे हैं। यह नजारा दर्शाता है कि कैसे श्रद्धालु हर समय, दिन हो या रात, आस्था के इस पर्व में भाग लेने के लिए समर्पित रहते हैं।

संगम पर डुबकी का महासमागम
तीसरी तस्वीर संगम तट पर उमड़े श्रद्धालुओं की भीड़ को दिखाती है। नागा साधु, अखाड़ों के संत और आम श्रद्धालु एक साथ पवित्र डुबकी लगाकर इस अवसर को और भव्य बना रहे हैं। घोड़ों पर तैनात सुरक्षाकर्मी और संगम की ओर जाती विशाल भीड़ महाकुंभ के अनुशासन और व्यवस्था का प्रमाण है।

महाकुंभ 2025: भारत की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव
महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भारत की सांस्कृतिक एकता, परंपरा और आस्था का अद्भुत उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की आध्यात्मिक विरासत का जीवंत प्रतीक बताया, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे विविधता में एकता का प्रतीक करार दिया।
महाकुंभ 2025 में शामिल हर व्यक्ति इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनकर अपने जीवन को धन्य मानता है। यह महोत्सव भारत की अनमोल सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को सजीव करता है।









