Mahakumbh: प्रयाग में मकर संक्रांति पर भव्य स्नान, श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा और आस्था का दृश्य

मकरसंक्रान्ति पर खिचड़ी, तिल और गुड़ के दान का प्रावधान है। सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले पहले अमृत स्नान में शामिल..

माघ मकरगति रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।
देव दनुज किन्नर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी।।

रामचरित मानस के बालकाण्ड में गोस्वामी तुल्सीदास कहते हैं, माघ में सूर्य जब मकर राशि में जाते हैं। तक सब लोग तीर्थराज प्रयाग आते हैं। देवता देव किन्नर और मनुष्यों के समूह प्रयागराज आ कर संगम में स्रान करते हैं। मकरसंक्रान्ति पर तीर्थराज प्रयाग में आज पहला अमृत स्रान हुआ। पूरी सज-धज के साथ अखाड़े गंगा, यमुना और पवित्र संगम की त्रिवेणी पर पहुंचे और नागाओं और साधुओं ने सूर्य के उत्तरायण होने के उल्लास में सराबोर हो कर ब्रम्हमुहूर्त में तीन पवित्र नदियों के जल में डुबकी लगाई।

हर हर महादेव की गूंज और गंगा मैया के जयकारों से पूरा संगम क्षेत्र गूंज रहा था। भगवान भास्कर ने जैसे ही पूर्व की तरफ से सुनहरी छटा बिखेरी, लाखों की संख्या में संगम के तट पर उपस्थित भक्तों ने गंगा जल में आधे खड़े हो कर सूर्य को अर्घय दे कर अपने व पूर्वजों के मोक्ष की कामना की। पूरा प्रयाग श्रद्धालुओं से पटा पड़ा है। प्रयाग से संगम की तरफ जाने वाली कोई भी सड़क ऐसी नहीं, जो श्रद्धालुओं से खचाखच भरी ना हो। हर-हर महादेव और गंगा मैया के जयकारे प्रयाग में हर तरफ गूंज रहे हैं।

भजन-कीर्तन करते श्रद्धालुओं की टोलियां संगम में पांच डुबकियां लगाने के लिए बड़ी चली जा रही हैं। कांई गुजरात से आया है तो कोई महाराष्टÑ से। कोई राजस्थानी है तो कोई पंजाब से। पूरा भारत एक साथ प्रयाग में मानों समा गया हो। मानवता का ऐसा अप्रतिम संगम और श्रद्धा की ऐसी अनुपम छटा देखते ही बनती है। तीर्थराज प्रयाग में 144 वर्ष बाद आयोजित हो रहे महाकुम्भ के पहले अमृत स्नान में श्रद्धालुओं की संख्या अर्धकुम्भ में मौनी अमावस्या के दिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या से अधिक है। श्रद्धालुओं से सभी सड़कें पटी पड़ी हैं। दोपहर 12 बजे तक डेढ़ करोड़ से अधिक लोग संगम में स्नान कर घर वापस हो रहे हैं। सरकार का अनुमान है कि मौनी अमावस्या पर तीन करोड़ के करीब श्रद्धालु संगम में स्नन करेंगे।

भारत के सभी प्रान्तों से प्रयाग आये श्रद्धालु कुंभ मेले में सरकार के इंतजाम से तो खुश हैं लेकिन मेला क्षेत्र के बाहर सरकार की बदइंतजामी उन्हें विचलित कर रही है। गुजरात के सूरत से परिवार के साथ कुंभ नहाने आये जयंत शाह कहते हैं, रेलवे स्टेशन से कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करने तक सड़क पर सरकार ने ना ही शौचालय की व्यवस्था की है और ना ही पीने के पानी का इंतजाम। ऐसे में श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पंजाब के मोगा से आये तजिन्दर पाल सिंह कहते हैं, रेलवे स्टेशन से श्रद्धालुओं को पैदल यात्रा करवाई जा रही है लेकिन सड़क के दोनों तरफ शौचालय और पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिस वजह से लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को श्रद्धालुओं के आवागमन के मार्ग पर कम से कम मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था तो करनी ही चाहिये।

मकरसंक्रान्ति पर खिचड़ी, तिल और गुड़ के दान का प्रावधान है। सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले पहले अमृत स्नान में शामिल हो रहे श्रद्धालु प्रयाग में दान और स्रान कर के पुण्य कमाने की चाह में आते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि घी, गुड़, तिल और खिचड़ी का दान करने से ग्रहों की शान्ति होती है और उनके कष्ट इससे दूर होते हैं। फिलहाल तीर्थों के राजा प्रयाग पूरे वात्सल्य भाव से अपनी धरती पर आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु के सर पर हाथ रखे उन्हें कुशलता से घर वापस भेजने में तल्लीन हैं। उनकी इस तल्लीनता में श्रद्धालु भी पूरी श्रद्धा से डूबे गंगा का दर्शन कर मुक्ति प्राप्ति की अभिलाषा लिए त्रिवेणी में डुबकियां लगा कर घर वापसी की तरफ अग्रसर हैं। स्थानीय निवासी महाकुम्भ के पहले अमृत स्रान में श्रद्धालुओं की संख्या के देख कर कहते हैं, उन्होंने मकरसंक्रान्ति पर श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या पहले कभी नहीं देखी।

लेखक: अंशुमान शुक्ल…

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