
Milkipur By Election: मिल्कीपुर उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा लिया है। अक्टूबर से अब तक योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर का दौरा आठ बार किया है, जहां उन्होंने सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव भी इस सीट को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
मतदान की प्रक्रिया और सुरक्षा के इंतजाम
हालांकि, आज मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस दौरान 210 मतदान स्थलों की वेब कास्टिंग की जा रही है, जबकि 25 मतदान स्थलों की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है। इसके अलावा, 71 मतदान केंद्रों पर माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात हैं और 9 उड़नदस्ता टीमें सक्रिय हैं। चुनाव के दौरान 9 स्टेटिक निगरानी टीमें और 6 वीडियो निगरानी टीमें भी चुस्त निगरानी के लिए तैनात की गई हैं। सुरक्षा के मद्देनजर, 2 सुपर जोनल मजिस्ट्रेट और 4 जोनल मजिस्ट्रेट को जिम्मेदारी दी गई है।
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 70 हजार 829 मतदाता हैं, जिनमें दलित, ब्राह्मण, यादव, ओबीसी और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं। इसमें 1.25 लाख दलित मतदाता (जिनमें से 65-70 हजार पासी समुदाय से हैं), 60-65 हजार ब्राह्मण, 50-55 हजार यादव, 30 हजार ओबीसी समुदाय के लोग और 30 हजार मुस्लिम और 18 हजार ठाकुर मतदाता शामिल हैं।
मिल्कीपुर उपचुनाव का महत्व
मिल्कीपुर विधानसभा सीट फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, और इस सीट के परिणामों का असर पूरे क्षेत्र पर पड़ सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को फैजाबाद (अयोध्या) सीट पर हार का सामना करना पड़ा था, जो राम मंदिर निर्माण के बाद अप्रत्याशित माना गया था। इस सीट से सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी।
बड़े इलाके और मतदान के लिए प्रमुख गांव
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में तीन प्रमुख ब्लॉक- अमानीगंज, हेरिंग्टनगंज और मिल्कीपुर आते हैं। हेरिंग्टनगंज में यादव मतदाता ज्यादा हैं, जबकि मिल्कीपुर ब्लॉक में सभी समुदायों की मिश्रित आबादी है। इस सीट के प्रमुख इलाकों में जालिम का पुरवा, हरपाल का पुरवा, पंडियन का पुरवा, सैथरी, बिशुनपुर और धमथुआ जैसे पासी बहुल गांव शामिल हैं।
मिल्कीपुर उपचुनाव के परिणाम पर सभी की निगाहें
इस बार मिल्कीपुर उपचुनाव में कौन सा दल जीत हासिल करता है, यह चुनावी दांव का अहम मोड़ साबित हो सकता है। मतदाता किसे अपना विधायक चुनेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।









