ग्लोबल पेट्रोकेमिकल मार्जिन में गिरावट जारी, चीन की मांग और आपूर्ति बढ़ने से दबाव

भारत में निवेश लगातार बढ़ रहा है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले साल कहा था कि देश में पेट्रोकेमिकल्स की बढ़ती मांग को पूरा करने...

वैश्विक पेट्रोकेमिकल उद्योग को अगले कुछ वर्षों तक कमजोर मार्जिन का सामना करना पड़ सकता है। इसकी मुख्य वजह शीर्ष पेट्रोकेमिकल उपभोक्ता चीन से कमजोर मांग और चीन तथा मध्य पूर्व में नए प्लांट्स से अधिक आपूर्ति होना है। टोटल एनर्जीज के गोपालकृष्णन ने कहा, “उद्योग मार्च में चीन की बड़ी प्रोत्साहन योजना की घोषणा का इंतजार कर रहा है।” उन्होंने कहा कि इससे चीन में मांग बढ़ सकती है और वैश्विक पेट्रोकेमिकल मार्जिन में सुधार हो सकता है।

भारत में रिफाइनरियों को नुकसान से बचाव हुआ है क्योंकि वे अपना पेट्रोकेमिकल फीडस्टॉक नैफ्था खुद बनाती हैं। हालांकि, कंसल्टेंसी फर्म रिस्टैड एनर्जी के विश्लेषक पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले 3-4 वर्षों से आयातित फीडस्टॉक पर निर्भर स्टैंडअलोन प्लांट्स के मार्जिन नेगेटिव रहे हैं।

इस बीच, भारत में निवेश लगातार बढ़ रहा है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले साल कहा था कि देश में पेट्रोकेमिकल्स की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले एक दशक में 87 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि भारत हर साल 25 से 30 मिलियन मीट्रिक टन पेट्रोकेमिकल उत्पादों का उपभोग करता है। 220 अरब डॉलर के मौजूदा बाजार आकार के साथ केमिकल और पेट्रोकेमिकल सेक्टर के 2025 तक 300 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

नयारा एनर्जी और हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स जैसी कंपनियों ने अपने उत्पादन को बढ़ाने की योजना की घोषणा की है। पेट्रोनेट एलएनजी गुजरात में 7,50,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (टीपीवाई) प्रोपेन डीहाइड्रोजनेशन यूनिट और 5,00,000 टीपीवाई पॉलीप्रोपाइलीन यूनिट स्थापित कर रही है। पेट्रोनेट एलएनजी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अक्षय कुमार सिंह ने कहा, “पेट्रोकेमिकल्स में मंदी हमेशा चक्रीय रही है और हमें उम्मीद है कि अगले तीन वर्षों में मार्जिन में सुधार होगा।”

भारत में पेट्रोकेमिकल सेक्टर के तेजी से बढ़ने और निवेश के बढ़ते प्रवाह के बीच, वैश्विक स्तर पर मार्जिन में सुधार की उम्मीदें बनी हुई हैं। हालांकि, चीन की मांग और आपूर्ति की स्थिति पर नजर रखना इस उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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