महाकुंभ 2025: भारत के आध्यात्मिक पर्यटन में क्रांतिकारी बदलाव

महाकुंभ 2025 ने आध्यात्मिक पर्यटन को वैश्विक स्तर पर एक नया स्वरूप दिया है, जो न केवल आस्था, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का भी एक महत्वपूर्ण कारक बन रहा है।

महाकुंभ मेला 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक विरासत का एक भव्य उत्सव है, जिसने दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालुओं, पर्यटकों और साधकों को आकर्षित किया है। आधुनिक सुविधाओं, डिजिटल कनेक्टिविटी और संरचित यात्रा सेवाओं ने इस आयोजन को और भी समावेशी और सुलभ बना दिया है।

महाकुंभ 2025: आध्यात्मिक पर्यटन का गेम-चेंजर

📌 डॉ. विक्रम कामत (VITS Kamats Group):
“पहले आध्यात्मिक पर्यटन को बुजुर्गों के लिए माना जाता था, लेकिन 2025 का महाकुंभ युवाओं को भी जोड़ने में सफल रहा है।”

📌 हरीश खत्री (India Assist):
“रियल-टाइम असिस्टेंस, आपातकालीन सेवाओं और बहुभाषीय सहायता ने इसे वैश्विक स्तर का आयोजन बना दिया है।”

📌 ऋत्विक खरे (ELIVAAS):
“अब लोग लाइव स्ट्रीमिंग, मोबाइल बुकिंग और अनुकूलित आध्यात्मिक अनुभवों के माध्यम से कहीं से भी महाकुंभ से जुड़ सकते हैं।”

📌 जतिंदर पॉल सिंह (Viacation):
“बेहतर सड़कें, इको-फ्रेंडली आवास और ध्यान रिट्रीट्स के साथ महाकुंभ ने आध्यात्मिक पर्यटन के नए मानक स्थापित किए हैं।”

महाकुंभ 2025 का आर्थिक और वैश्विक प्रभाव

2 लाख करोड़ रुपये की राजस्व वृद्धि 🔹 उत्तर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1% का योगदान
7,500 करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से प्रयागराज बना विश्वस्तरीय तीर्थ स्थल
महाकुंभ ने भारत को वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित किया

भारत में आध्यात्मिक पर्यटन का उछाल

2022-23 में धार्मिक स्थलों की खोज में 97% वृद्धि
🔺 अयोध्या में 585% वृद्धि
🔺 उज्जैन में 359% वृद्धि
🔺 बद्रीनाथ में 343% वृद्धि
2022 में धार्मिक पर्यटन से 1.34 लाख करोड़ रुपये का राजस्व
2030 तक 10 करोड़ लोगों को मिलेगा रोजगार

भारतीयों के लिए विदेशों में आध्यात्मिक पर्यटन

हिंदू यात्रियों के लिए:
🔹 श्रीलंका: “रामायण ट्रेल” (20 प्रमुख स्थान)
🔹 थाईलैंड, नेपाल, जापान: बौद्ध व ज़ेन परंपराओं के केंद्र
🔹 इज़राइल (यरुशलम): अंतरधार्मिक आध्यात्मिक खोज

मुस्लिम यात्रियों के लिए:
🔹 सऊदी अरब: मक्का-मदीना की हज और उमरा यात्रा

बाली (इंडोनेशिया):
🔹 योग, ध्यान और हिंदू संस्कृति का केंद्र

अक्टूबर 2023 – मार्च 2024 के बीच श्रीलंका में 60-70% भारतीय पर्यटक “रामायण ट्रेल” के थे।

महाकुंभ 2025 ने आध्यात्मिक पर्यटन को वैश्विक स्तर पर एक नया स्वरूप दिया है, जो न केवल आस्था, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का भी एक महत्वपूर्ण कारक बन रहा है।

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