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बिहार के मखाना उद्योग को वैश्विक स्तर पर लाने के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना, किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

खाना बोर्ड बिहार के मखाना उद्योग को एक पारंपरिक कृषि कार्य से एक आधुनिक, निर्यात-केन्द्रित और लाभकारी क्षेत्र में बदलने की दिशा में एक...

बिहार में मखाना, जो कृषि का एक महत्वपूर्ण उत्पाद है, अब वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने की ओर बढ़ रहा है। बिहार दुनिया के 85 प्रतिशत मखाना उत्पादन का जिम्मेदार है और पिछले दशक में इस उत्पाद की खेती में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। पारंपरिक तालाब आधारित खेती से अब खेत आधारित खेती की ओर रुझान बढ़ा है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन दोगुना बढ़कर अब 56,000 टन से भी अधिक हो गया है।

हाल ही में, 2025-26 के केंद्रीय बजट में मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा बिहार के मखाना उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इस बोर्ड के जरिए मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे मखाना की ब्रांड पहचान को घरेलू और वैश्विक बाजारों में मजबूती मिलेगी। इस कदम से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि बिहार की जीडीपी में भी योगदान बढ़ेगा।

मखाना बोर्ड का उद्देश्य और योजना

मखाना बोर्ड का गठन मखाना किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नवंबर 2024 में बिहार की यात्रा के दौरान मखाना के व्यापक सामर्थ्य को देखा और बोर्ड के गठन के पीछे की दृष्टि को साझा किया। मखाना बोर्ड का उद्देश्य किसानों को आधुनिक खेती तकनीकों से अवगत कराना है, ताकि वे कम श्रम में अधिक उत्पादन कर सकें।

बिहार सरकार ने पहले ही किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई सब्सिडी योजनाएं लागू की हैं, लेकिन मखाना बोर्ड के जरिए किसानों को और भी बेहतर संसाधन, उपकरण और प्रशिक्षण मिलेंगे। बोर्ड, किसानों को उच्च उत्पादकता वाली मखाना किस्मों, बेहतर खेती पद्धतियों और संसाधनों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

मखाना प्रसंस्करण के लिए राष्ट्रीय संस्थान

मखाना प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किया जा रहा है, जो मखाना उद्योग को एक नई दिशा देगा। इसके अलावा, मिथिला मखाना को ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI)’ टैग मिलना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो मखाना के विशिष्ट गुणवत्ता और उत्पत्ति स्थान को प्रमाणित करता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बढ़ेगी।

किसान उत्पादक संगठन (FPOs) का गठन

मखाना बोर्ड के साथ-साथ किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) का गठन किसानों को सामूहिक रूप से चुनौतियों का सामना करने, संसाधनों तक पहुंच प्राप्त करने और व्यापारिक लाभ उठाने में मदद करेगा। बिहार में अब तक 1,000 से अधिक FPOs की स्थापना हो चुकी है, जिनमें से 689 केंद्रीय योजना के तहत, 296 जैविक कॉरीडोर योजना के तहत और 61 बिहार राज्य कृषि उत्पादक विकास योजना के तहत स्थापित किए गए हैं।

भविष्य में मखाना उत्पादन का विस्तार

बिहार सरकार का लक्ष्य 2035 तक मखाना उत्पादन क्षेत्र को 70,000 हेक्टेयर तक बढ़ाना है, जिससे मखाना का उत्पादन 78,000 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा। इसके परिणामस्वरूप मखाना किसानों की आय 550 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,900 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इसके साथ ही, मखाना उद्योग का बाजार मूल्य अगले दशक में 2,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 13,260 करोड़ रुपये हो सकता है।

बिहार को वैश्विक बाजार से जोड़ने की दिशा

बिहार सरकार द्वारा निर्माणाधीन एयरपोर्ट, जैसे दरभंगा और पूर्णिया एयरपोर्ट, मखाना निर्यात को सुगम बनाएंगे। पटना के नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण से भी मखाना के वैश्विक बाजारों, जैसे अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व में विस्तार की संभावनाएं बढ़ेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था, “बिहार का मखाना अब दुनिया तक पहुंचेगा”, और इस दृष्टि को साकार करने के लिए मखाना बोर्ड एक गेम-चेंजर साबित होगा।

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