
“मैं मर्दों के बारे में कुछ नहीं सुनता, लेकिन मर्द भी बहुत अकेले होते हैं, प्लीज़ उनका ख्याल रखें।” – यह दिल दहला देने वाली बात मानव शर्मा ने अपनी आत्महत्या से पहले एक वीडियो में कही। 24 फरवरी की सुबह आगरा जिले के सदर क्षेत्र के रहने वाले 25 वर्षीय मानव शर्मा ने मुंबई में अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपने माता-पिता से सॉरी कहते हुए अपनी जान दी, लेकिन इस कृत्य से पहले उन्होंने जो वीडियो बनाया, उसने न सिर्फ उनके परिवार को तोड़ दिया, बल्कि समाज को भी एक गहरी और दर्दनाक चेतावनी दी।
आत्महत्या से पहले बनाया 7 मिनट का वीडियो
मानव शर्मा, जो कि टीसीएस मुंबई में एक मैनेजर थे, ने आत्महत्या से पहले करीब 7 मिनट का वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके मायके वालों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया। वीडियो में वे लगातार रोते हुए कहते हैं, “मैं तो चला जाऊंगा, लेकिन मर्दों के बारे में सोचो। मर्द भी बहुत अकेले होते हैं, कोई बात नहीं करता उनके बारे में।” इस दिल दहला देने वाली बात ने न सिर्फ उनके परिवार को झकझोर दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया कि मानसिक उत्पीड़न के कारण कितने लोग ऐसे आत्मघाती कदम उठा रहे हैं।
मायके वालों से विवाद और घरेलू उत्पीड़न का दर्द
मानव शर्मा की शादी 30 जनवरी 2024 को बरहन में हुई थी। इसके बाद वह अपनी पत्नी को लेकर मुंबई चला गया था। लेकिन रिश्तों में खटास आ गई, और उनकी पत्नी के मायके वालों ने भी उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। पिता नरेंद्र कुमार शर्मा ने आरोप लगाया कि बहू का अक्सर झगड़ा होता था और वह परिवार को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देती थी। उन्होंने यह भी कहा कि 23 फरवरी को मानव अपनी पत्नी को छोड़ने मायके गया था और उसी दिन बहू और मायके वालों ने उसे धमकाया, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गया था।
मानसिक उत्पीड़न की कगार पर: एक और जीवन का अंत
मानव शर्मा के पिता ने थाना सदर में तहरीर दी और सीएम पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है और आत्महत्या के कारणों की गहराई से पड़ताल कर रही है। इंस्पेक्टर सदर विरेश पाल गिरि का कहना है कि इस मामले में पोस्टमार्टम के बाद तहरीर दी गई और पुलिस इसे गंभीरता से ले रही है।
मानव का यह दर्दनाक वीडियो इस बात का गहरा संकेत है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक तनाव और उत्पीड़न को लेकर ज्यादा संवेदनशील और जागरूक होने की आवश्यकता है। समाज को इस दिशा में आगे बढ़कर मानसिक उत्पीड़न के मामलों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि और ऐसे अनगिनत परिवारों को इस तरह की त्रासदी का सामना न करना पड़े।