
भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी आर्थिक मजबूती का लोहा मनवाया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के मौजूदा आर्थिक नीतियों की सराहना करते हुए इसे “लचीली अर्थव्यवस्था” और “सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था” के रूप में चिह्नित किया है। IMF का कहना है कि भारत के समग्र वित्तीय और आर्थिक सुधारों ने इसे न केवल वैश्विक महामारी और अन्य संकटों से बचाए रखा, बल्कि इसके विकास को भी बनाए रखा। यह रिपोर्ट भारत के 6.2% की GDP वृद्धि के बाद आई है, जो पिछली तिमाही के 5.6% के मुकाबले एक बड़ी उछाल है।
Q3 GDP में आशाजनक वृद्धि
भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.2% की वृद्धि दिसंबर तिमाही में हुई, जो कि सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस वृद्धि का मुख्य कारण कृषि, उद्योग, और विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ोतरी है। SBI के ताजा विश्लेषण के अनुसार, Q3 के दौरान कृषि और उद्योग में हुई मजबूती ने GVA (ग्रॉस वैल्यू एडेड) को भी 6.2% तक पहुंचा दिया।
IMF की भविष्यवाणी
IMF का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2024/25 और 2025/26 में क्रमशः 6.5% की दर से वृद्धि करेगी। इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण घरेलू खपत में मजबूती और वित्तीय स्थिरता का समर्थन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महंगाई दर को लक्षित स्तर तक लाने की संभावना है, खासकर खाद्य मूल्य में गिरावट के साथ।
आर्थिक सुधारों का महत्व
IMF ने भारत से और अधिक व्यापक संरचनात्मक सुधारों की मांग की है, जो उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार सृजन, निवेश को प्रोत्साहित करने और उच्चतम विकास संभावनाओं को जागृत करने पर केंद्रित हों। इसमें श्रम बाजार सुधार, मानव संसाधन विकास और महिलाओं को श्रम बल में अधिक भागीदारी के लिए समर्थन देने पर जोर दिया गया है।
आर्थिक आंकड़ों में पुनरीक्षण
SBI द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, FY25 के GDP वृद्धि का अनुमान 6.5% है और Q4 GDP वृद्धि 7.6% हो सकती है। हालाँकि, यह अनुमान मई 2025 में संशोधित किए जाने की संभावना है। इसके अलावा, FY23 और FY24 के GDP आंकड़ों को भी उपर्युक्त रूप से संशोधित किया गया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और लचीलेपन को स्पष्ट करता है।
भारत की आर्थिक भविष्यवाणी
IMF का कहना है कि भारत की वित्तीय सेहत, मजबूत कॉर्पोरेट बैलेंस शीट्स और डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में मजबूत नींव इसे मध्यकालिक विकास और सामाजिक कल्याण लाभ प्राप्त करने में मदद करेगी। भारत की ये नीतियां न केवल उसके मौजूदा विकास को गति देती हैं, बल्कि भविष्य में भी इसे एक स्थिर और समृद्ध अर्थव्यवस्था बनाने के रास्ते खोलती हैं।








