
भारत में नियो बैंक्स और मिड-साइज़ बैंक्स की बढ़ती उपस्थिति, वैश्विक बैंकों की रणनीतियों को अपनाते हुए, एक नए ट्रेंड के रूप में उभर रही है। इन बैंकों का मुख्य उद्देश्य ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) स्थापित कर भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाना है, जो कि बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (BFSI) क्षेत्र में एक नई लहर का संकेत देता है।
नियो बैंक क्या हैं?
नियो बैंक, जो पूरी तरह से ऑनलाइन संचालित होते हैं, पारंपरिक बैंकों के साथ साझेदारी कर या स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं। इन बैंकों का मुख्य आकर्षण उनकी डिजिटल सुविधाओं और टेक्नोलॉजी पर आधारित सेवाओं में छिपा है।
मार्केट का विस्तार
नियो बैंकों का बाजार आकार 2018 में लगभग 19 बिलियन डॉलर था, जो 2026 तक बढ़कर 395 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जैसा कि PwC के द्वारा अनुमानित किया गया है।
वैश्विक उपस्थिति
यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों में फैले नियो बैंक्स अब भारत में अपना विस्तार करने के लिए तत्पर हैं, जहां उनकी सेवाओं को बहुत ही बड़े ग्राहक आधार तक पहुंचने की संभावना है।
भारत का रणनीतिक महत्व
भारत में नियो बैंकों के विस्तार से न केवल भारतीय वित्तीय बाजार को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर डिजिटल बैंकिंग के भविष्य का हिस्सा बनने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।