प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा: भारत-श्रीलंका संबंधों में रणनीतिक बदलाव

बल्कि सुरक्षा और सामरिक सहयोग को भी नई दिशा देगी। यह यात्रा दोनों देशों के बीच लंबी अवधि तक चलने वाले रिश्तों का आधार तैयार करेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा “पड़ोसी पहले” नीति के सकारात्मक परिणामों का प्रतीक बन चुकी है। यह यात्रा दिल्ली की धैर्यपूर्ण और व्यावहारिक नीतियों का परिणाम है, वहीं श्रीलंकाई राष्ट्रपति की युवा नेतृत्व ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। यदि यह यात्रा जैसा योजना बनाई गई है, वैसे ही सफल होती है, तो यह दिल्ली के लिए तो फायदेमंद होगी ही, बल्कि कोलंबो के लिए भी अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकती है।

भारत की वित्तीय सहायता और रणनीतिक समर्थन

2022 में श्रीलंका के वित्तीय संकट के दौरान भारत ने $4 बिलियन की विदेशी मुद्रा सहायता दी, जो आईएमएफ से भी अधिक थी। इसके अलावा, भारत ने $400 मिलियन की मुद्रा स्वैप सुविधा, क्रेडिट लाइन और तेल आपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की, जिससे श्रीलंका को संकट के समय मदद मिली। यह विशेष सहयोग भारत और श्रीलंका के रिश्तों में नई मजबूती लेकर आया है।

श्रीलंका में ऊर्जा क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका

भारत ने श्रीलंका के ऊर्जा संकट को समझते हुए 2024 में त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करने का वादा किया। इसके साथ ही, सौर ऊर्जा परियोजना और पंखे ऊर्जा के स्रोतों पर काम करने की योजना बनाई गई है। ये कदम श्रीलंका को अपने ऊर्जा आयात बिल को कम करने में मदद करेंगे और 2030 तक 70 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य पूरा करने में सहायक होंगे।

सुरक्षा और सामरिक सहयोग का विस्तार

भारत और श्रीलंका के बीच सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए “कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन” में सहयोग किया गया है, जिसमें मालदीव, बांगलादेश, मॉरीशस और सेशेल्स जैसे देशों को भी पर्यवेक्षक के रूप में जोड़ा गया। भारत और श्रीलंका के बीच मादक पदार्थों की तस्करी पर संयुक्त प्रयासों ने दोनों देशों की सुरक्षा को मजबूत किया है।

तमिल मुद्दे और भारत का योगदान

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के तमिल समुदाय के लिए 10,000 घरों के निर्माण की घोषणा की और पूर्वी प्रांतों के विकास के लिए 2.4 बिलियन श्रीलंकाई रुपये का पैकेज दिया। यह कदम न केवल श्रीलंका में सभी समुदायों के विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि चीन की बढ़ती प्रभाव को भी रोकने में मदद करेगा।

भारत-श्रीलंका में दार्शनिक कूटनीति

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय शांति रक्षक बल (IPKF) के बलिदानों की सराहना की, जो श्रीलंका में 1,171 भारतीय सैनिकों के जीवन का कारण बने थे। यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम था, जो दोनों देशों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों को सुनिश्चित करेगा।

निष्कर्ष: श्रीलंका में भारत की बढ़ती भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा से भारत-श्रीलंका के रिश्तों में नई ऊर्जा आई है, जो न केवल आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार लाएगी, बल्कि सुरक्षा और सामरिक सहयोग को भी नई दिशा देगी। यह यात्रा दोनों देशों के बीच लंबी अवधि तक चलने वाले रिश्तों का आधार तैयार करेगी।

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