इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की जबरदस्त छलांग!

पहली पसंद बनता जा रहा है। बढ़ती बुनियादी ढांचे और कुशल श्रमबल ने भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल सेंटर बना दिया है।

“मेक इन इंडिया” के चलते भारत बना वैश्विक निर्माण हब, मोबाइल एक्सपोर्ट 77 गुना बढ़ा

वैल्यू एडिशन 30% से बढ़कर 70% हुआ, FY27 तक 90% का लक्ष्य

एक्सिस कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में मूल्य संवर्धन (Value Addition) 30 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत तक पहुंच चुका है और वित्तीय वर्ष 2026-27 तक इसे 90 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है।

मोबाइल फोन एक्सपोर्ट में 77 गुना की जबरदस्त बढ़त

पिछले 10 वर्षों में भारत का मोबाइल फोन निर्यात 77 गुना बढ़ा है। अब देश में बिकने वाले 99% मोबाइल भारत में ही बनते हैं, जिससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन चुका है।

AC के कलपुर्जे भी अब ‘मेड इन इंडिया’

FY19 में जहां 35% एयर कंडीशनर तैयार रूप में आयात किए जाते थे, वहीं FY25 तक यह घटकर मात्र 5% रह गया है। अब कंपेसर, कॉपर ट्यूब्स और एल्यूमिनियम कॉइल जैसे प्रमुख पुर्जे भारत में ही तैयार हो रहे हैं।

PCBA और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के उत्पादन में जबरदस्त उछाल

2016 तक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स का अधिकतर हिस्सा आयात करता था, लेकिन अब लोकल प्रोडक्शन आयात से 24% ज्यादा है। मोबाइल फोन के PCBAs का आयात भी FY18 के ₹30,000 करोड़ से घटकर लगभग शून्य हो गया है।

सरकार की नीतियों से उद्योग को मिल रहा बूस्ट

PLI, PMP और SPECS जैसी योजनाओं, 15% कॉर्पोरेट टैक्स और “चाइना +1” रणनीति के चलते भारत वैश्विक कंपनियों की पहली पसंद बनता जा रहा है। बढ़ती बुनियादी ढांचे और कुशल श्रमबल ने भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल सेंटर बना दिया है।

भारत का ग्लोबल सप्लाई चेन में बढ़ता दबदबा

FY16 से FY25 के बीच भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट में 26% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) देखी गई है। “मेक इन इंडिया” अभियान ने भारत को एक मजबूत सप्लाई चेन हब में बदल दिया है, जिससे देश आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।

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