
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने शुक्रवार को कहा कि आज भारत अपनी संस्कृति और प्राचीन धरोहर पर जिस गर्व के साथ बोल रहा है, उसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद लंबे समय तक भारत अपनी सांस्कृतिक पहचान को लेकर संकोच में रहा, लेकिन 2014 के बाद से देश ने अपनी विरासत को खुलकर स्वीकार करना शुरू किया।
हरिवंश यह बात विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) के मौके पर कहीं, जब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में पीएम मोदी के भाषणों और विचारों पर आधारित पुस्तक ‘संस्कृति का पंचवां अध्याय’ का विमोचन किया गया।
“योग दिवस इसका बड़ा उदाहरण है”
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, जो इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, उन्होंने भी पीएम मोदी की सराहना करते हुए कहा, “2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद संस्कृति पर चर्चा गहराई और गर्व से होने लगी है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि, “2008 में यूरोप में रहने वाले एक भारतीय गुरु ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत की कोशिश की थी और भारत सरकार से सहयोग मांगा था। लेकिन 2016 में पीएम मोदी के प्रयासों से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू हुआ। यह उनके सांस्कृतिक दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
“भारत का गौरवशाली अतीत अब दुनिया के सामने”
हरिवंश ने कहा कि आज भारत अपनी हज़ारों साल पुरानी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को दुनिया के सामने गर्व से रख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय मूल्यों, योग, आध्यात्म और सांस्कृतिक गौरव को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया है, वह प्रशंसनीय है।
इस मौके पर विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों, विद्वानों और विद्यार्थियों ने भी भाग लिया और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को लेकर पीएम मोदी की दृष्टि पर चर्चा की।
पुस्तक ‘संस्कृति का पंचवां अध्याय’ में पीएम मोदी के विभिन्न सांस्कृतिक विषयों पर दिए गए भाषणों, विचारों और नीतियों को संकलित किया गया है।









