
नई दिल्ली: खादी और ग्राम उद्योग आयोग (KVIC) ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार 1.70 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हासिल कर एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अनुसार, KVIC के अध्यक्ष मनोज कुमार ने 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए अस्थायी आंकड़े जारी किए, जिसमें उत्पादन, बिक्री और रोजगार में रिकॉर्ड वृद्धि दर्शाई गई है।
मनोज कुमार ने सोमवार को राजघाट, नई दिल्ली स्थित KVIC मुख्यालय पर डेटा जारी करते हुए बताया कि खादी और ग्राम उद्योग उत्पादों के उत्पादन में 347 प्रतिशत और बिक्री में 447 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही रोजगार में 49.23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे यह क्षेत्र ग्रामीण आजीविका सृजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में KVIC का योगदान
KVIC अध्यक्ष ने कहा, “बापू की खादी की धरोहर से प्रेरित आत्मनिर्भर भारत के विज़न को ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ और ‘विकसित भारत’ मिशन के तहत रूपांतरित किया जा रहा है।” 2024-25 में खादी का उत्पादन 1.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो 2013-14 में 26,109 करोड़ रुपये था। वहीं, बिक्री 1.70 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई, जो 2013-14 में केवल 31,154 करोड़ रुपये थी।
खादी वस्त्रों का उत्पादन और बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि
खादी वस्त्रों का उत्पादन 2013-14 के 811 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 3,783 करोड़ रुपये हो गया, जो 366 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। खादी वस्त्रों की बिक्री में भी 561 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ, जो 1,081 करोड़ रुपये से बढ़कर 7,145 करोड़ रुपये हो गया। इसका श्रेय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर खादी के प्रचार को दिया गया है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP) का प्रभाव
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP) ने ग्रामीण रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत 10.18 लाख से अधिक यूनिट्स स्थापित की गई हैं और 27,166 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी के साथ 90 लाख से अधिक लोग रोजगार प्राप्त कर चुके हैं।
ग्रामीण भारत में उद्यमिता और सशक्तिकरण का नया युग
मनोज कुमार ने आगे बताया कि ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत FY 2025-26 के लिए बजट में 134 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जो 60 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अब तक 2.87 लाख से अधिक मशीनों और टूलकिट्स का वितरण किया गया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म-उद्यमों को बढ़ावा दे रहे हैं। पिछले दशक में 7.43 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 57.45 प्रतिशत महिलाएं थीं।
महिलाओं के लिए बेहतर अवसर और वेतन वृद्धि
KVIC के अनुसार, खादी के पांच लाख कारीगरों में से 80 प्रतिशत महिलाएं हैं, जिनका वेतन पिछले 11 वर्षों में 275 प्रतिशत बढ़ चुका है, जबकि केवल पिछले तीन वर्षों में यह वृद्धि 100 प्रतिशत रही है।
निष्कर्ष:
KVIC का यह विकास केवल सांख्यिकीय नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण भारत में उद्यमिता, कौशल विकास और सशक्तिकरण के माध्यम से एक नई दिशा दिखा रहा है। इसने भारत को 2047 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की ओर मजबूती से कदम बढ़ाने का एक मजबूत आधार तैयार किया है।









