
New Delhi : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने फरवरी 2025 के लिए जो आंकड़े जारी किए हैं, वे भारत में संगठित रोजगार और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। इस माह कुल 16.10 लाख नेट सदस्य EPFO से जुड़े, जो पिछले साल फरवरी 2024 की तुलना में 3.99 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि न केवल रोजगार के बढ़ते अवसरों को दर्शाती है, बल्कि कर्मचारियों में भविष्य निधि लाभों को लेकर बढ़ती जागरूकता का भी प्रमाण है।
EPFO की ओर से जारी बयान के अनुसार, फरवरी 2025 में 7.39 लाख नए सदस्य पहली बार संगठन से जुड़े। इनमें 18 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं की भागीदारी सबसे अधिक रही। इस आयु वर्ग से 4.27 लाख नए सदस्य जुड़े, जो कुल नए सदस्यों का लगभग 57.71 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं का संगठित क्षेत्र में तेजी से प्रवेश हो रहा है, जिससे उनकी सामाजिक सुरक्षा मजबूत हो रही है।
इसके अलावा, फरवरी में लगभग 13.18 लाख ऐसे सदस्य EPFO से दोबारा जुड़े, जिन्होंने पहले अपनी नौकरियों से अलग होकर फंड सेटलमेंट नहीं किया था। उन्होंने अपनी जमा राशि को नई संस्था में ट्रांसफर कर दिया, जिससे उनकी भविष्य निधि की सुरक्षा बनी रही। यह आंकड़ा भी बीते वर्ष की तुलना में 11.85 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
महिलाओं की भागीदारी में भी उत्साहजनक बढ़ोतरी हुई है। फरवरी 2025 में 2.08 लाख नई महिला सदस्य EPFO से जुड़ीं, जबकि कुल महिला नेट सदस्यता 3.37 लाख रही, जो फरवरी 2024 की तुलना में 9.23 प्रतिशत अधिक है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि महिलाओं की भागीदारी संगठित कार्यबल में लगातार बढ़ रही है।
राज्यवार आंकड़ों में महाराष्ट्र शीर्ष पर रहा, जिसने कुल नेट सदस्यता का 20.90 प्रतिशत योगदान दिया। तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य भी पांच प्रतिशत से अधिक का योगदान देने वाले राज्यों में शामिल रहे।
उद्योगों के लिहाज से डेटा दर्शाता है कि मत्स्य प्रसंस्करण, सफाई सेवाएं, कंप्यूटर तकनीक, एविएशन और क्लबों/सोसाइटीज से जुड़ी संस्थाओं में भी कर्मचारी जुड़ाव में वृद्धि हुई है। कुल नेट सदस्यता का 41.72 प्रतिशत हिस्सा ‘एक्सपर्ट सर्विसेज’ श्रेणी से रहा, जिसमें मैनपावर सप्लायर्स, सुरक्षा सेवाएं और सामान्य संविदा सेवाएं शामिल हैं।
EPFO ने बताया कि ये आंकड़े प्रारंभिक हैं और सदस्य रिकॉर्ड के अद्यतन होने के साथ आगे भी संशोधित किए जाते रहेंगे। सितंबर 2017 से अब तक हर माह यह डेटा सार्वजनिक किया जा रहा है, ताकि रोजगार की प्रवृत्तियों पर नज़र रखी जा सके और नीति-निर्माण में इसका उपयोग हो सके।









