
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के छोटे से गांव कुंडगवारी के निवासी और शिक्षक प्रदीप कुमार ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद छत पर सौर पैनल लगाकर एक प्रेरणादायक शुरुआत की है। वे अपने इस निवेश को अपने बच्चों के आर्थिक भविष्य की सुरक्षा मानते हैं। “हर महीने बढ़ते बिजली बिल से उन्हें बचाना चाहता हूं,” उनका यह कथन अब पूरे प्रदेश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की एक नई चेतना बन गया है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत अब तक जम्मू-कश्मीर के 8,000 से अधिक घरेलू उपभोक्ता सौर ऊर्जा को अपनाकर राज्य की 75 मेगावाट की रूफटॉप क्षमता में योगदान दे चुके हैं। पहाड़ी भू-भाग के कारण बड़े सौर पार्क विकसित करना कठिन है, लेकिन विकेन्द्रीकृत सौर संयंत्रों के माध्यम से राज्य पहले ही अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पार कर चुका है।
“किश्तवाड़ के शिक्षक प्रदीप कुमार की दूरदृष्टि से शुरू हुआ सौर ऊर्जा का ग्रामीण विस्तार”
स्मार्ट मीटरिंग, प्रीपेड बिलिंग जैसे सुधारों और सूर्या घर पोर्टल के माध्यम से सीधे खाते में सब्सिडी के आसान हस्तांतरण ने इस योजना को पारदर्शी और प्रभावशाली बना दिया है। इसके अलावा, सरकार द्वारा 22,500 सरकारी भवनों में से 30% को सौर ऊर्जा से जोड़ने की योजना पहले ही 60 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता जोड़ चुकी है।
पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत जम्मू से लेकर पंपोर तक 23,000 सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जा रहा है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। वहीं, सौर पैनल की इंस्टॉलेशन और रख-रखाव में युवाओं को रोजगार मिल रहा है।
स्थानीय मांग बढ़ने से घरेलू सौर पैनल निर्माण को बल मिला है, जो चीन के सस्ते आयातों को टक्कर देने के लिए आवश्यक है। अब सौर ऊर्जा केवल पर्यावरणीय विकल्प नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बेहतर निवेश साबित हो रही है।









