
Uttar Pradesh: ललितपुर के विकास खंड महरौनी की एक बुजुर्ग महिला के साथ अधिकारियों ने हैरान करने वाली लापरवाही दिखाई है। जिंदा होते हुए भी उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, जिसके बाद महिला को अधिकारियों के सामने पेश होकर अपनी जिंदगी साबित करनी पड़ी। लेकिन, इसके बावजूद उनके दस्तावेजों को सही करने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई और न ही फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
“मैं जिंदा हूँ!”
जब महिला को इस फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो वह खुद अधिकारियों के सामने पहुंच गई और गुहार लगाने लगी — “मैं ज़िंदा हूं साहब, मुझे क्यों मार दिया आपने?” लेकिन हैरानी की बात ये रही कि बुजुर्ग को सामने देखकर भी अधिकारियों ने पहले तो भरोसा नहीं किया। बुजुर्ग महिला ने लगातार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अब तक इस पूरे मामले में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सरकारी लाभ लेने के फर्जीवाड़े
ग्रामीणों के अनुसार, यह पूरा मामला किसी ज़मीन या सरकारी लाभ लेने के फर्जीवाड़े से जुड़ा हो सकता है। अब सवाल यह उठता है कि जब कोई ज़िंदा है, तो उसे मरा कैसे घोषित किया जा सकता है, और वो भी बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के? प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। पीड़िता न्याय के लिए दर-दर भटक रही है।
प्रशासन की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं
इस मामले पर प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और महिला के दस्तावेजों को तुरंत सही किया जाए। साथ ही, भविष्य में इस तरह की गलतियों को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाएँ।
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है, जहाँ बिना पुष्टि के महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी कर दिए जाते हैं और गलती करने वालों को कोई सजा नहीं मिलती।









