
Heart Attack: क्या आपने कभी सोचा है कि आपका ब्लड ग्रुप आपकी सेहत पर असर डाल सकता है? हाल ही में किए गए कुछ बड़े अध्ययनों ने यह साबित कर दिया है कि आपका ब्लड ग्रुप दिल की बीमारियों, खासकर हार्ट अटैक और ब्लड क्लॉट्स (खून के थक्के) के खतरे को बढ़ा सकता है। यह खुलासा हमें इस बात को फिर से सोचने पर मजबूर करता है कि सिर्फ उम्र, मोटापा या खानपान ही दिल की बीमारी का कारण नहीं होते, बल्कि ब्लड ग्रुप भी इसमें एक अहम भूमिका निभा सकता है।
ब्लड ग्रुप A, B और AB वालों को ज्यादा खतरा
हाल ही में हुए अध्ययनों में यह पाया गया है कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप A, B या AB होता है, उन्हें हार्ट अटैक और रक्त के थक्के बनने का खतरा O ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में अधिक होता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की पत्रिका Arteriosclerosis, Thrombosis and Vascular Biology में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, A और B ब्लड ग्रुप वाले लोगों को हार्ट अटैक का 8% ज्यादा खतरा होता है। यह अध्ययन करीब 4 लाख लोगों के स्वास्थ्य डेटा पर आधारित था।
बड़ी संख्या में लोगों पर हुआ अध्ययन
साल 2017 में European Society of Cardiology द्वारा किए गए एक अध्ययन में 13.6 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया था, जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि जिनका ब्लड ग्रुप O नहीं है, उन्हें हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का 9% ज्यादा खतरा होता है। खासकर, B ब्लड ग्रुप वालों को हार्ट अटैक का 15% अधिक खतरा और A ब्लड ग्रुप वालों को हार्ट फेल होने का 11% ज्यादा खतरा होता है।
ब्लड क्लॉट्स बनने का ज्यादा खतरा
इन अध्ययनों में यह भी पाया गया कि A, B और AB ब्लड ग्रुप वालों को खून के थक्के बनने का खतरा O ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में अधिक होता है। इसका कारण यह है कि इन ग्रुप्स के खून में “von Willebrand factor (VWF)” नामक एक प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है, जो खून को जमाने में मदद करता है। जब यह प्रोटीन ज्यादा हो जाता है, तो खून में थक्के बनने लगते हैं, जिसे थ्रॉम्बोसिस कहा जाता है। A और B ब्लड ग्रुप वालों को ब्लड क्लॉट्स बनने का खतरा 44% ज्यादा होता है। अगर यह थक्के दिल की धमनियों (arteries) में बन जाते हैं, तो इससे ब्लॉकेज हो सकता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।
ब्लड ग्रुप को इलाज और जांच में शामिल करने की आवश्यकता
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल की बीमारियों का खतरा जांचते समय ब्लड ग्रुप को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। अभी तक डॉक्टरों द्वारा हार्ट डिजीज के खतरे का आंकलन उम्र, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और लिंग के आधार पर किया जाता था। लेकिन अब वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्लड ग्रुप भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर हो सकता है। खासकर, जिनका ब्लड ग्रुप A है, उन्हें कोलेस्ट्रॉल और “गलेक्टिन-3” नामक सूजन से जुड़ा प्रोटीन ज्यादा पाया जाता है, जो हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ा सकता है।
इसलिए, भविष्य में इलाज और बचाव की योजनाएं ब्लड ग्रुप के आधार पर भी बनाई जा सकती हैं, ताकि दिल की बीमारियों से बेहतर तरीके से बचाव किया जा सके। अब समय आ गया है कि हम अपने ब्लड ग्रुप को अपनी सेहत का एक अहम हिस्सा समझें और उसे ध्यान में रखते हुए अपनी सेहत का ख्याल रखें।









