भारत के नए चीफ जस्टिस बने जस्टिस बीआर गवई, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई का कार्यकाल लगभग छह महीनों का होगा। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया।

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई। इस गरिमामयी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली है, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हुए। उनके कार्यकाल की अवधि लगभग छह महीने की होगी, जो कि 24 नवंबर 2025 को उनकी सेवानिवृत्ति के साथ समाप्त होगी।

कैसे हुआ चयन?

संविधानिक परंपरा के अनुसार, वर्तमान सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश का नाम केंद्र सरकार को सुझाते हैं। इसी क्रम में, 16 अप्रैल को तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस गवई का नाम केंद्र सरकार को प्रस्तावित किया था। कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी थी।

न्यायिक करियर की झलक

  • वर्ष 1985 में वकालत की शुरुआत की
  • नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील रहे
  • 1992–1993: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक
  • 2000 में सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त
  • 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने
  • 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त
  • 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने

जस्टिस गवई संविधान पीठों का हिस्सा भी रहे हैं और उनके कई फैसले ऐतिहासिक रहे हैं। दिसंबर 2023 में, उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सर्वसम्मति से सही ठहराने वाली संविधान पीठ का हिस्सा रहते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और सामाजिक पहचान

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे प्रसिद्ध समाजसेवी और बिहार तथा केरल के पूर्व राज्यपाल आर.एस. गवई के पुत्र हैं। जस्टिस बीआर गवई देश के दूसरे अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से आने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन ने 2007 से 2010 तक यह पद संभाला था।

कार्यकाल और अपेक्षाएं

हालांकि जस्टिस गवई का कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा—लगभग छह महीनों का—होगा, लेकिन यह अवधि न्यायिक मामलों और संविधान से जुड़े कई अहम फैसलों के लिहाज़ से अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकती है। न्यायिक स्वतंत्रता, डिजिटल निजता, चुनावी पारदर्शिता जैसे विषयों पर सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका में उनकी सोच निर्णायक साबित हो सकती है।

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