
इंडो-पाक युद्ध के बाद भारत के रक्षा शेयरों में जबरदस्त तेजी आई है, जिसने व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। 14 मई 2025 को हुए इस तेजी को लेकर सवाल उठे कि क्या यह एक अस्थाई उछाल है या दीर्घकालीन वृद्धि का संकेत?
यह युद्ध भारत की घरेलू तकनीक और स्वदेशी हथियारों की ताकत को साबित करता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कोचीन शिपयार्ड, पारस डिफेंस, माज़गाँव डॉक शिपबिल्डर्स, भारत डायनेमिक्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स जैसे रक्षा स्टॉक्स में 11% तक की तेजी आई।
ड्रोन युद्ध, एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे हाई-टेक सिस्टम को अपने रक्षा ढांचे में शामिल कर भारत ने अपनी ताकत को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद, भारत आर्थिक रूप से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। स्थिर मुद्रास्फीति, मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार और आर्थिक नीतियों की निरंतरता ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। रक्षा क्षेत्र में भारत की स्वदेशी उत्पादन क्षमता और उच्च तकनीक उत्पादों ने बाजार में इसकी प्रतिस्पर्धा को मजबूत किया है।
विश्लेषकों का मानना है कि रक्षा शेयरों की कीमतें उचित हैं और ये आगे भी बढ़ेंगी क्योंकि भारत की नई युद्ध नीति के तहत अपनी ताकत दिखाने के लिए यह क्षेत्र लगातार मजबूत हो रहा है।
भविष्य का अनुमान
जेम्स जेएम कीन्स के शब्दों में, “दीर्घकाल में हम सभी मरे हुए हैं”, पर वर्तमान में भारत की रक्षा प्रणालियों ने रशियन, फ्रेंच, इजरायली और स्वदेशी तकनीक का शानदार प्रदर्शन किया है। अमेरिका की तरह, भारत में भी अब एक “मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स” विकसित हो रहा है जो आर्थिक विकास और सैन्य शक्ति दोनों को बढ़ावा देगा।
मुख्य रक्षा शेयर
कोचीन शिपयार्ड, पारस डिफेंस, माज़गाँव डॉक शिपबिल्डर्स, भारत डायनेमिक्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स जैसे स्टॉक्स बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, हालांकि उनके भाव विभिन्न कारकों पर निर्भर करेंगे।
आगे का रास्ता
भारत के रक्षा निर्यात 2013-14 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” जैसे कार्यक्रमों को इसकी सफलता का मुख्य कारण बताया है। सरकार ने रक्षा निर्माण में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने, निर्यात नियमों को आसान बनाने और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
भारत ने 80 से अधिक देशों को युद्ध सामग्री निर्यात की है और 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। Nifty India Defence Index ने हाल के तीन महीनों में 30% से अधिक की तेजी दिखाई है, जो निवेशकों के बढ़ते भरोसे का संकेत है।
परिवर्तनकारी बदलाव
वैश्विक हथियार बाजार बड़ा और तेजी से बढ़ रहा है। भारत की रक्षा तकनीक में वृद्धि ने रूस, फ्रांस, इजरायल और भारत के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया है। भारत आर्थिक और तकनीकी उन्नति के साथ वैश्विक हथियार बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन और निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जिससे देश के रक्षा शेयरों को मजबूती मिली है। सरकार की नीतियां और तकनीकी प्रगति भारत को वैश्विक हथियार बाजार में प्रमुख खिलाड़ी बना रही हैं। आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।









